बच्चों में बढ़ते सोशल मीडिया के प्रभाव से माता-पिता के साथ-साथ सरकारें भी चिंता में हैं। इसी का असर अल्बानिया में दिखाई दिया, जहां एक साल के लिए शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया है। यह निर्णय 21 दिसंबर, शनिवार को सरकार द्वारा की गई घोषणा के बाद लिया गया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रतिबंध स्कूलों में सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से लगाया गया है। अल्बानिया के प्रधानमंत्री एडी रामा ने देशभर में अभिभावकों और शिक्षकों से मुलाकात के बाद इस कदम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध अगले एक साल तक लागू रहेगा।
प्रधानमंत्री रामा ने कहा, 'एक साल के लिए अल्बानिया में टिकटॉक पूरी तरह बंद रहेगा। किसी के लिए भी टिकटॉक उपलब्ध नहीं होगा।' प्रधानमंत्री ने टिकटॉक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर युवाओं में बढ़ती हिंसा का आरोप लगाया। उन्होंने पिछले महीने हुई एक 14 वर्षीय लड़के की चाकू मारकर हत्या की घटना का हवाला दिया, जिसमें उसके साथी छात्र ने उसे मार डाला। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना सोशल मीडिया विवादों के बाद हुई थी। टिकटॉक पर कुछ वीडियो भी सामने आए, जो इस हमले का समर्थन करते नजर आए।
रामा ने आगे कहा, 'समस्या हमारे बच्चों में नहीं है, बल्कि हमारे समाज, हमारे व्यवहार और उन प्लेटफॉर्म्स में है जो हमारे बच्चों को बंधक बना रहे हैं।'
टिकटॉक ने दिया ये बयान
टिकटॉक ने इस प्रतिबंध पर 'स्पष्टता' की मांग की है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, 'हमने ऐसा कोई प्रमाण नहीं पाया कि इस घटना के आरोपी या पीड़ित का टिकटॉक पर अकाउंट था। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस घटना से जुड़े वीडियो किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए थे, न कि टिकटॉक पर।'
यूरोप और दुनिया भर में सोशल मीडिया पर सख्ती
अल्बानिया का यह कदम यूरोप में बच्चों की सोशल मीडिया उपयोग पर नियंत्रण को लेकर बढ़ती सख्ती का हिस्सा है। इसके साथ फ्रांस, जर्मनी और बेल्जियम जैसे देशों ने नाबालिगों के लिए ऑनलाइन खतरों को कम करने के लिए कई उपाय लागू किए हैं।
वहीं, बच्चों के पर द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग पर बड़ा कदम उठाते हुए ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। यह दुनिया के सबसे कठोर कानूनों में से एक माना जा रहा है, जो मेटा, टिकटॉक और अन्य टेक कंपनियों पर लागू होता है।
बच्चों के सोशल मीडिया पर कैसे रखें नियंत्रण?
बच्चों में बढ़ते सोशल मीडिया के प्रभाव के कारण कई प्रकार की समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। साथ ही जैसे-जैसे एआई का प्रभाव बढ़ रहा है, इससे खतरा और भी बढ़ गया है, जिसमें डीपफेक या वौइस क्लोनिंग जैसी समस्याएं हैं। ऐसे में कई साइबर एक्सपर्ट्स ये सुझाव के देते हैं कि कम उम्र में बच्चों का सोशल मीडिया अकाउंट नहीं बनाना चाहिए। इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है।
अगर बच्चे का सोशल मीडिया अकाउंट है तो समय-समय पर उसकी जांच जरूर करें। इससे आपके संज्ञान में रहेगा कि उसके अकाउंट पर क्या-क्या गतिविधि चल रही है। इसके साथ बच्चों के अकाउंट का पासवर्ड माता-पिता ही सेलेक्ट करें। बच्चों को जटिल पासवर्ड रखने और उसे याद रखने में मुश्किल हो सकती है, जिससे अकाउंट सुरक्षित रहेगा।
बच्चों को सोशल मीडिया के सही और गलत इस्तेमाल के बारे में बताएं। साथ ही उन्हें यह भी समझाएं कि किसी भी अनजान व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट या अनजान अकाउंट से चैट न करें। इससे कई बड़े खतरे तल सकते हैं। इसके साथ बच्चों के प्रोफाइल को जितना हो सके उतना प्राइवेट रखें। ओपन अकाउंट का गलत इस्तेमाल जल्दी होता है।