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बिना सिग्नल हो जाएगी बात, समझिए कैसे काम करेगा 'उधार का नेटवर्क'

दूरसंचार विभाग के नई पहल के तहत जियो, बीएसएनएल और एयरटेल के यूजर्स सिग्नल खोने के बावजूद कॉल कर सकेंगे। जानिए क्या है ये योजना और इसके फायदे।

Image of Mobile tower

सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: Freepik)

कई बार देखा जाता है कि दूरदराज गांव में जाने पर मोबाइल से सिग्नल चला जाता है। जिस वजह से न सिर्फ इसका असर कॉल या इंटरनेट के इस्तेमाल पर पड़ता है, बल्कि आपातकालीन स्थिति में ये और भी समस्याएं बढ़ा देता है। इसी समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने एक नए फीचर को शुरू करने की घोषणा की है। इसमें जियो, बीएसएनएल और एयरटेल के यूजर्स अब अपने सिम के सिग्नल खोने के बावजूद मौजूदा नेटवर्क का इस्तेमाल करके कॉल कर सकेंगे। यह सुविधा इंट्रा सर्कल रोमिंग (ICR) की वजह से संभव हुई है। इस नई सेवा के तहत, टेलीकॉम कंपनियां सरकारी सहायता से बनाए गए मोबाइल टावरों पर अपनी सर्विस शुरू करेंगी।

ICR सुविधा क्या है?

ICR का मतलब है कि जब किसी यूजर का सिम सिग्नल नहीं पकड़ पाता है, तो वह दूसरे उपलब्ध नेटवर्क के जरिए कॉल कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी जियो उपभोक्ता के क्षेत्र में जियो का सिग्नल नहीं है, तो वह बीएसएनएल या एयरटेल के नेटवर्क का उपयोग कर कॉल कर सकता है। यह सुविधा एक DBN (डिजिटल भारत नेटवर्क)-फंडेड टावर के जरिए से उपलब्ध होगी।

ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में लाभ

इस फीचर का मुख्य उद्देश्य 4जी कनेक्टिविटी को ग्रामीण और दूरदराज के 35,400 से अधिक गांवों तक पहुंचाना है। लगभग 27,000 सरकारी सहायता से बने टावरों के जरिए, अब इन क्षेत्रों में भी बेहतर मोबाइल कनेक्टिविटी सेवाएं उपलब्ध होंगी।

 

टेलीकॉम कंपनियों का सहयोग

इस पहल के तहत भारत की तीन प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां- जियो, बीएसएनएल और एयरटेल आपस में नेटवर्क साझा करेंगी। यह साझेदारी इस बात को सुनिश्चित करेगी कि उपयोगकर्ता किसी भी एक टेलीकॉम कंपनी तक सीमित न रहें और उन्हें ज्यादा विकल्प मिल सके। अब तक, इन टावरों से केवल वही उपभोक्ता लाभ उठा सकते थे, जिनका नेटवर्क उस जगह में पहले से मौजूद था। लेकिन ICR सुविधा के कारण सभी उपयोगकर्ता इन टावरों से जुड़ सकेंगे।

क्या है इसके फायदे

जिन ग्रामीण या दूरदराज क्षेत्रों में कोई नेटवर्क कमजोर था, वहां अब दूसरे नेटवर्क का उपयोग करके कनेक्टिविटी की समस्या हल हो सकेगी। साथ ही इससे उन ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा, जो अब तक नेटवर्क की कमी के कारण पीछे रह गए थे।

 

इस नई सुविधा की वजह से अब हर कंपनी को अलग-अलग टावर लगाने की जरूरत नहीं होगी। इससे टेलीकॉम कंपनियों के भी खर्च में कमी आएगी और उम्मीद है कि भविष्य में यूजर्स को भी सस्ती और बेहतर सेवा मिल सकती है। इसके साथ किसी आपातकालीन स्थिति में, जब एक नेटवर्क उपलब्ध नहीं हो, तो दूसरे नेटवर्क पर कॉल करना संभव हो सकेगा। इससे जान और माल की सुरक्षा भी बढ़ेगी।

क्या है सरकार की भूमिका?

इस योजना को लॉन्च करते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 27,836 साइट्स इस योजना के तहत कवर की जाएंगी। यह पहल न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुधारने में मदद करेगी, बल्कि यूजर्स को ज्यादा मोबाइल सेवाओं के विकल्प भी मिलेगी।

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