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क्या कोई तूफान इक्वेटर पार कर सकता है? जानिए विज्ञान क्या कहता है

साइक्लोन सबसे शक्तिशाली मौसमी घटना में से एक है लेकिन यह पृथ्वी के इक्वेटर को पार नहीं कर पाता है। जानिए क्या है वजह।

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सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: Freepik)

टाइफून या साइक्लोन प्रकृति की सबसे शक्तिशाली मौसमी घटनाओं में से एक हैं। ये विशाल तूफान गर्म समुद्री पानी से ऊर्जा लेकर बनते हैं और फिर तेज हवा और भारी बारिश के साथ तबाही मचाते हैं। ये मुख्य रूप से उन समुद्री जगहों में बनते हैं, जहां पानी का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा होता है। हालांकि, एक रोचक बात यह है कि टाइफून कभी भी इक्वेटर यानि भूमध्य रेखा के करीब नहीं आते और न ही इसे पार कर पाते हैं। पर ऐसा क्यों होता है, आइए जानते हैं।

हरिकेन इक्वेटर के पास क्यों नहीं बनते?

हरिकेन के इक्वेटर के पास न बनने का बड़ी वजह कोरिओलिस इफेक्ट है, जो पृथ्वी के घूमने की वजह से होता है। पृथ्वी इक्वेटर पर सबसे तेज घूमती है और ध्रुव (Poles) की ओर इसकी गति धीमी होती जाती है। यही कारण है कि हवा और तूफान प्रीति उत्तरी हेमिस्फेयर में दाईं ओर और दक्षिणी हेमिस्फेयर में बाईं ओर मुड़ते हैं।

 

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हरिकेन बनने के लिए हवा का घूमना जरूरी होता है लेकिन इक्वेटर पर कोरिओलिस इफेक्ट बहुत कमजोर या लगभग 0 होता है। इसका मतलब यह हुआ कि इक्वेटर के पास बनने वाले तूफान हवा के घुमाव में नहीं आ पाते और इसलिए वे चक्रवात में तब्दील नहीं होते। आमतौर पर, हरिकेन इक्वेटर से कम से कम 400 किलोमीटर दूर बनते हैं, क्योंकि यहां कोरिओलिस इफेक्ट इतना मजबूत होता है कि हवा के दबाव को घुमाकर तूफान बना सके।

 

क्या कभी हरिकेन इक्वेटर के पास बने हैं?

अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार, सबसे नजदीकी हरिकेन इक्वेटर से लगभग 160 किलोमीटर (100 मील) दूर बना था। वैज्ञानिकों का मानना है कि तूफान बनने के बाद जब वे विकसित होते हैं, तो हवा की दिशा उन्हें इक्वेटर से दूर धकेल देती है।

क्या कोई हरिकेन इक्वेटर को पार कर सकता है?

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह संभव है कि कोई बहुत ही शक्तिशाली चक्रवात अपने बल से इक्वेटर को पार कर सकता है। हवाई युनिवर्सिटी के मौसम विज्ञान के प्रोफेसर गैरी बार्न्स ने बताया कि यदि कोई हरिकेन पहले से ही बेहद मजबूत हो और उसमें पर्याप्त ऊर्जा हो, तो यह संभव हो सकता है कि वह कोरिओलिस इफेक्ट की कमजोरी के बावजूद इक्वेटर पार कर ले।

 

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हालांकि, ऐसा कोई उदाहरण अब तक देखने को नहीं मिला है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई हरिकेन इक्वेटर के पास पहुंचता है, तो उसे अपनी घूमने की दिशा को पूरी तरह से बदलना पड़ेगा। यानी उसे पहले घूमना बंद करना होगा, फिर उल्टी दिशा में घूमना शुरू करना होगा, जो कि लगभग असंभव है।

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