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CT स्कैन और MRI का नाम खूब सुना है, अंतर जानते हैं? कुछ इस तरह

CT स्कैन और MRI दोनों ही इमेजिंग तकनीकें हैं। जानते हैं कि क्या है इन दोनों में क्या अंतर।

Image of CT Scan

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva Image)

हमारी त्वचा के ऊपर की चोटें और समस्याएं तो सामान्य आंखों से दिखाई देती हैं लेकिन कई बार शरीर के अंदर की समस्याओं को जानने के लिए विशेष तकनीकों की जरूरत होती है। जब डॉक्टर को इन्टर्नल ब्लीडिंग, ट्यूमर, मांसपेशियों में चोट या दूसरी गंभीर समस्या की आशंका होती है, तो वह CT स्कैन या MRI कराने की सलाह दे सकते हैं।

दोनों तकनीकें शरीर के अंदर की तस्वीरें दिखाने में मदद करती हैं लेकिन ये अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं और अलग स्थितियों में उपयोग की जाती हैं।

CT स्कैन और MRI क्या हैं?

CT स्कैन (Computed Tomography) और MRI (Magnetic Resonance Imaging) दोनों ही इमेजिंग तकनीकें हैं, जो इलाज नहीं बल्कि शरीर के अंदर की स्थिति को देखने के लिए उपयोग होती हैं। इनसे डॉक्टर यह तय कर सकते हैं कि इलाज कैसा होगा और किसी बीमारी की स्थिति में क्या बदलाव हो रहे हैं।

मुख्य अंतर

CT स्कैन में एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है और MRI में मैग्नेट व रेडियो वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ CT स्कैन का इस्तेमाल हड्डियां, खून, अंग और फेफड़े की जांच के लिए किया जाता है, वहीं MRI की मदद से नसें, दिमाग, जोड़ और ट्यूमर की जांच के लिए किया जाता है। CT स्कैन जांच में 1 मिनट से कम समय लगता है और MRI में 20 से 50 मिनट टक का समय लग सकता है।

 

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CT स्कैन कैसे काम करता है?

CT स्कैन एक तरह का उन्नत एक्स-रे होता है। यह मशीन एक गोले (डोनट शेप) की होती है, जिसमें मरीज को एक टेबल पर लिटाकर स्कैन किया जाता है। मशीन शरीर के चारों ओर घूमती है और कई तस्वीरें खींचती है जिन्हें कंप्यूटर 3D चित्र में बदल देता है।

कब उपयोग होता है?

  • हड्डी की चोटें या फ्रैक्चर
  • पथरी (किडनी या गॉल ब्लैडर स्टोन)
  • आंतरिक रक्तस्राव
  • पेट की आपात स्थिति
  • कैंसर की स्टेजिंग

जोखिम

CT स्कैन में थोड़ी मात्रा में रेडिएशन होता है। बार-बार स्कैन कराने पर यह शरीर पर प्रभाव डाल सकता है, खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों में इसका प्रयोग सावधानी से किया जाता है।

MRI कैसे काम करता है?

MRI मशीन एक ट्यूब के आकार की होती है, जिसमें मरीज को लिटाया जाता है और बहुत स्थिर रहना होता है। यह तकनीक शरीर में मौजूद पानी के अणुओं के हाइड्रोजन प्रोटॉन की दिशा और उनकी गतिविधियों के आधार पर छवि बनाती है।

कब उपयोग होता है?

  • दिमाग और नसों की जांच
  • जोड़ और मांसपेशियों की चोटें
  • ट्यूमर की बारीक जानकारी
  • नसों में सूजन या चोट पर

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जोखिम

जिनके शरीर में धातु के इंप्लांट हैं (जैसे पेसमेकर), वे MRI नहीं करवा सकते 

समय अधिक लगता है, जिससे कुछ लोगों को घबराहट या बेचैनी हो सकती है

MRI और CT में से कौन बेहतर है?

यह तय करना कि MRI बेहतर है या CT, पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि डॉक्टर को शरीर में क्या देखना है। उदाहरण के लिए:

  • अगर डॉक्टर को फेफड़ों, हड्डियों या रक्त का निरीक्षण करना है, तो CT स्कैन बेहतर है।
  • अगर मस्तिष्क, नसें या जोड़ देखने हैं, तो MRI उपयुक्त विकल्प है।
  • डॉक्टर मरीज की स्थिति, लक्षण और स्वास्थ्य इतिहास देखकर यह निर्णय लेते हैं कि कौन सी तकनीक सही होगी।
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