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'डार्क वेब पर डेटा लीक...,' एक फोन कॉल और ऐसे लुट रहे लोग, ऐसे बचें

साइबर अपराधों में तेजी से बदलाव हो रहा है। अब अपराधी वॉयस विशिंग के जरिए लोगों को ठगने का तरीका अपना रहे हैं. जानिए कैसे रहे हैं इससे सतर्क।

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साइबर क्राइम से कैसे बचें। (Pic Credit- Meta AI)

भारत में साइबर क्राइम तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। साइबर क्राइम में डिजिटल अरेस्ट तो एक बड़ा मुद्दा तो था ही, अब साइबर अपराधियों ने ऑनलाइन ठगी का एक नया तरीका अपना लिया है। इसमें लोगों की ऑनलाइन सिक्योरिटी और पहचान खोने के डर का फायदा उठाया जा रहा है। इस ठगी में अंतरराष्ट्रीय नंबरों से कॉल आती है। जिसमे ऑटोमेटेड वॉइस में संदेश दिया जाता है, जिसमें कहा जाता है कि आपकी सभी निजी जानकारी ‘डार्क वेब’ पर सर्क्युलाते हो रही है।

इस वॉइस मैसेज के बाद अधिक जानकारी लेने के लिए नंबर 9 दबाने को कहा जाता है और यहीं से ठगी का पहला चरण शुरू हो जाता है। इसे "वॉयस फिशिंग" (Voice Phishing) कहा जाता है। इसका उद्देश्य पीड़ितों से संवेदनशील जानकारी लेना या उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर करना है।

कैसे काम करता है यह घोटाला?

ठगी की शुरुआत एक कॉल से होती है, जो अंतरराष्ट्रीय या कभी-कभी स्थानीय नंबर से आती है। कॉलर आईडी को ऐसे दिखाया जाता है कि यह किसी आधिकारिक स्रोत से आई हो। कॉल के दौरान एक रिकॉर्डेड संदेश सुनाई देता है, जिसमें बताया जाता है कि आपकी निजी जानकारी डार्क वेब पर लीक हो चुकी है। यह संदेश आपको डराने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें "साइबर क्राइम", "डार्क वेब" और "कानूनी कार्रवाई" जैसे गंभीर शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।

 

इस मैसेज के बाद, आपको जानकारी लेने या समस्या को हल करने के लिए नंबर 9 दबाने के लिए कहा जाता है। इस नंबर दबाने के बाद आपको ठगों से जोड़ा जाता है। ये ठग खुद को साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताते हैं और आपकी निजी जानकारी जैसे बैंक खाता, आधार नंबर, पासवर्ड आदि मांगते हैं। वे इसे आपके पहचान की पुष्टि करने के बहाने जानकारी लेते हैं।

साइबर अपराधी उठा रहे हैं डर का फायदा

आजकल लोग साइबर अपराध और पहचान चोरी के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और इसी डर का फायदा उठाकर साइबर अपराधी अपनी चाल बदल रहे हैं। इसमें आपको ‘डार्क वेब’ और ‘कानूनी कार्रवाई’ जैसे मैसेज का इस्तेमाल करके डराया जाता है। यह रिकार्डेड मैसेज के रूप में होता है, जिस वजह से इसपर ज्यादा लोग संदेह नहीं कर पाते हैं और इसी का फायदा साइबर अपराधी उठाते हैं।

ऐसे साइबर क्राइम कैसे बचें?

सबसे पहले किसी भी अनचाहे कॉल या स्पैम कॉल्स को न उठाएं। ऐसा यदि आप कर भी लेते हैं, तो कॉल के दौरान किसी भी नंबर न दबाएं और न ही किसी से अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करें। आपको बता दें कि सरकार या साइबर क्राइम विभाग आमतौर पर संवेदनशील जानकारी रिकॉर्डेड संदेशों के जरिए साझा नहीं करते। यहां तक कि बैंक के द्वारा आई कॉल में भी बैंक अधिकारी केवल आपका नाम कहकर आपकी वक्तिगत पुष्टि करता है।

कॉल के दौरान आपको यदि कोई संदेह हो, तो सीधे साइबर क्राइम या पुलिस विभाग से संपर्क करें और कॉल की जांच कराएं। आमतौर पर साइबर अपराधी कॉलर आईडी को बदल देते हैं, जिससे ऐसा लगे कि कॉल किसी आधिकारिक नंबर से आई है। इसे "कॉलर आईडी स्पूफिंग" कहा जाता है। इससे सावधान रहें। ऐसी कॉल्स को तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल या संबंधित प्राधिकरणों को रिपोर्ट करें।

साइबर अपराध से निपटने के लिए भारत में क्या हैं न्यायिक प्रावधान?

भारत सरकार ने साइबर अपराधों की ऑनलाइन शिकायत के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया है: cybercrime.gov.in जो खासतौर पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज करने के लिए है। भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का प्रावधान है जो भारत में साइबर अपराधों से निपटने का प्रमुख कानून है। इसमें साइबर अपराधों के लिए दंड का प्रावधान और डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा के उपाय शामिल हैं। राज्यों में भी साइबर क्राइम से निपटने के लिए टीमें गठित की गई हैं, जो ऐसे ही मामलों का संज्ञान लेती है।

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