भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) मिशन चंद्रयान-4 की तैयारियों में जुट गया है। चंद्रयान-3 का रोवर छोटा था, अब रोवर में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। चंद्रयान-3 मिशन के बाद अंतरिक्ष एजेंसी अपने महत्वाकांक्षी मिशन को पूरा करने के लिए मंथन में जुट गई है।
इसरो प्रज्ञान रोवर के जरिए चंद्रमा के सुदूर हिस्सों में शोध करेगा और वहां से सैंपल वापस लाने की कोशिश की जाएगी। चंद्रयान-4 मिशन का मकसद सिर्फ चंद्रमा की जमीन पर उतरना नहीं है, वहां से सैंपल लेकर लौटना है।
चंद्रयान-3 से कितना अलग होगा चंद्रयान 4 का रोवर?
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेशल एप्लीकेशन सेंटर (SAC) के निदेशक, नीलेश देसाई ने इसरो के मिशन चंद्रयान-4 पर कहा है कि नया रोवर, 350 किलो का होगा। यह चंद्रयान के रोवर से करीब 12 गुना ज्यादा होगा। पुराने रोवर का नाम प्रज्ञान रोवर है।
क्या होगा चंद्रयान-4 का काम?
अगर यह सफल रहा तो भारत भी उन दिग्गज देशों की श्रेणी में आ जाएगा, जिनके मून प्रोजेक्ट, वहां से सैंपल लाने में कामयाब हुए हैं। प्रज्ञान रोवर, 500 मीटर स्क्वायर एरिया को करता था, यह रोवर 1 किलोमीटर स्क्वायर का दायरा नापेगा।
कब तक पूरा होगा मिशन?
स्पेशल एप्लीकेशन सेंटर (SAC) के निदेशक, नीलेश देसाई ने बताया है अगर सरकार सहमति देती है तो इसरो यह मिशन साल 2030 तक पूरा हो जाएगा। वहीं इसरो के कई अधिकारी यह पहले बता चुके हैं कि साल 2027 के अंदर यह मिशन पूरा कर लिया जाएगा।
क्या है 2050 तक के लिए इसरो का प्लान?
चंद्रयान-4 मिशन के जरिए चंद्रमा पर भारत नई संभावनाएं तलाश रहा है। चंद्रमा की मिट्टी कैसी है, वहां नमी की स्थिति कैसी है, यह उपग्रह, उन सबको तलाशने की कोशिश करेगा। भारत की योजना है कि साल 2024 तक चंद्रमा पर इंसान कदम रखे और 2050 तक, चंद्रमा पर लूनर बेस तैयार किया जाए। इसरो अंतरिक्ष में नई संभावनाएं तलाश रहा है। दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत भी अब मानव मिशन पर विचार कर रहा है।