धरती से इसरो और नासा जैसी एजेंसियां अंतरिक्ष में उपग्रह (Satellites) भेजती हैं। इन उपग्रहों को अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भेजा जाता है। इन्हें धरती से ही एक तय कक्ष (Orbit) में भेजा जाता है और ये वहीं, अपने कक्ष में घूमते रहते हैं। कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में कैसे ये उपग्रह बिना गिरे घूमते रहते हैं, इनके ऑर्बिट में भी कोई परिवर्तन नजर नहीं आता है?
उपग्रहों की रफ्तार अपने कक्ष में इतनी तेज होती है कि उन पर गुरुत्वाकर्षण का नियम ही लागू नहीं हो पाता है। वे गुरुत्वाकर्षण बल से ज्यादा ऊर्जा लेकर अपने कक्ष में लगातार घूमते रहते हैं। उन्हें रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाता है और जिसकी न्यूनतम गति 25,039 मील प्रति घंटे की होती है।
कैसे अंतरिक्ष में टिके रह जाते हैं उपग्रह?
जैसे ही रॉकेट अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंच जाता है, उपग्रह को उसके कक्ष में छोड़ देता है। रॉकेट से अलग होते वक्त उपग्रह की जो गति होती है, वह उसे सैकड़ों साल, उसी अवस्था में नचाए रखने के लिए पर्याप्त होती है। किसी उपग्रह के स्थिर रहने के दो प्रमुख कारण होते हैं। अगर उपग्रह धरती के नजदीकी कक्ष में है तो उसे अंतरिक्ष में स्थिर रखने के लिए अधिक गति की जरूरत पड़ती है। अगर वह धरती से दूर कक्ष में है तो उसे लगातार अपने कक्ष में घूमने के लिए कम गति की जरूरत पड़ती है। उपग्रहों के पास अपना ईंधन होता है और उन्हें गति बनाए रखने के लिए सतत ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती है।
आपस में टकराते क्यों नहीं हैं उपग्रह?
अतंरिक्ष में जब इतने उपग्रह हैं तो एक-दूसरे से टकराते क्यों नहीं हैं? ये सवाल आपके मन में भी आता होगा। आइए इसका जवाब जान लेते हैं। दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां उपग्रहों की गतियों पर नजर रखती हैं। किसी उपग्रह का किसी उपग्रह से टकराना अति दुर्लभ है क्योंकि जब उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं तो उनके कक्ष का निर्धारण पहले ही कर लिया जाता है।