भारत के आदित्य-एल1 सोलर मिशन ने अपनी पहली बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मिशन भविष्य में सूर्य की गतिविधियों से पृथ्वी को होने वाले संभावित खतरों से बचाने में मदद कर सकता है। 16 जुलाई को, आदित्य-एल1 के विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (Velc) ने महत्वपूर्ण डेटा रिकॉर्ड किया। इस डेटा से वैज्ञानिकों ने सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की शुरुआत का समय सटीक रूप से पता लगाया है।
क्या है सूर्य का CME?
CME सूर्य की बाहरी परत (कोरोना) से निकलने वाले चार्ज कणों के बड़े विस्फोट को कहा जाता है। बता दें कि यह कणों का समूह करीब 1 ट्रिलियन किलोग्राम तक भारी हो सकता है, साथ ही इसकी गति 3,000 किमी/सेकंड तक हो सकती है।
वैज्ञानिक इसपर इसलिए शोध कर रहे हैं क्योंकि इसकी दिशा निर्धारित नहीं है, और यह किसी भी दिशा में बढ़ सकती है, जिसमें पृथ्वी भी शामिल है। यह पृथ्वी के लिए इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि अगर यह पृथ्वी की ओर आए तो सूर्य से 150 मिलियन किमी की दूरी महज 15 घंटे में तय कर सकता है।
वैज्ञानिकों और खगोल विद्वानों के अनुसार अगर CME पृथ्वी से टकराए तो यह सैटेलाइट, पावर ग्रिड और संचार प्रणालियों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
आदित्य-एल1 मिशन की भूमिका
आदित्य-एल1 का प्रमुख उद्देश्य सूर्य की गतिविधियों और CME का गहराई से अध्ययन करना है। यह सूर्य की कोरोना पर लगातार नजर रख सकता है। साथ ही यह सूर्यग्रहण जैसी स्थिति बनाकर उन हिस्सों का अध्ययन करता है, जो अन्य उपकरणों से नहीं हो पाते। बता दें कि आदित्य-एल1 CME की शुरुआत का सटीक समय और दिशा का पता लगाने में सक्षम है।
आदित्य-एल1 ने क्या पता लगाया?
आदित्य-एल1 द्वारा 16 जुलाई को रिकॉर्ड किए गए डेटा के अनुसार, एक CME भारतीय समयानुसार दोपहर 01:08 पर शुरू हुआ। शुरुआत में यह पृथ्वी की ओर बढ़ा, लेकिन बाद में दिशा बदल ली। इस CME से पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह मिशन भविष्य में ऐसी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी और चेतावनी देने में मदद करेगा।