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समंदर पर नजर, जद में कराची, INS विक्रांत की ताकत पर इतना भरोसा क्यों?

भारतीय नौसेना के बेड़े में INS Vikrant पहला स्वदेशी युद्धपोत है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जानते हैं इसकी खासियत।

Image of INS Vikrant

INS Vikrant(Photo Credit: Wikimedia Commons)

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने अपने युद्ध अभ्यास को तेज कर दिया कर दिया है। इसी बीच रविवार को नौसेना ने अर्ब सागर में युद्धाभ्यास किया, जिसके बाद INS Vikrant चर्चा में आया। INS Vikrant भारतीय नौसेना का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जिसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने तैयार किया था। इसका नाम 'विक्रांत' संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है- 'शक्तिशाली' या 'वीरता से परिपूर्ण'।

क्या है INS Vikrant की खासियत?

INS Vikrant का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत किया गया, जो भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। इसका कुल वजन लगभग 45,000 टन है और यह लगभग 262 मीटर लंबा और इसकी चौड़ाई 62 मीटर है। इसकी ऊंचाई 59 मीटर है, जो इसे विशालकाय बनाती है।

 

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यह युद्धपोत 30 से ज्यादा लड़ाकू विमान एक साथ ले जाने की क्षमता रखता है। इसमें मिग-29K फाइटर जेट्स, हेलिकॉप्टर जैसे MH-60R, चेतक और अन्य लड़ाकू हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। साथ ही इस युद्धपोत पर कुल 18 डेक हैं और साथ ही 1600 सैनिकों के रहने की व्यवस्था है।

INS Vikrant तकनीकी खासियत

INS Vikrant की खास बात यह है कि इसमें अत्याधुनिक युद्ध प्रणालियां और सेंसर लगे हुए हैं। यह पूरी तरह डिजिटल नेविगेशन सिस्टम और ऑटोमैटिक कंट्रोल सिस्टम से सुसज्जित है। इसमें रडार, मिसाइल सुरक्षा प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और आधुनिक संचार प्रणाली का समावेश है।

 

इसके साथ ही इसमें गैस टरबाइन इंजन लगे हैं, जो इसे 28 नॉट (लगभग 52 किमी प्रति घंटे) की रफ्तार देने में सक्षम हैं। इसकी रेंज लगभग 7,500 नॉटिकल मील (13,800 किमी) है।

क्या है इसकी युद्धक्षमता?

INS Vikrant भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में बड़ा योगदान देने वाला जहाज है। यह युद्ध पोत न सिर्फ हवाई हमलों को रोकने में सक्षम है, बल्कि यह समुद्र से हवा और समुद्र से समुद्र में मिसाइल हमला भी कर सकता है। इसके लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर टेक्टिकल मिशन, सर्वेलेंस, एंटी-सबमरीन वॉर और खोज व बचाव काम में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

विक्रांत भारत की ताकत और रणनीतिक पकड़ को मजबूत बनाती है। इससे भारत न केवल अपने तटीय इलाकों की रक्षा कर सकता है, बल्कि विदेशी खतरों से निपटने में भी प्रभावशाली भूमिका निभा सकता है।

 

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कब शुरू हुआ था निर्माण

इस पोत का निर्माण वर्ष 2009 में शुरू हुआ था और इसे 2022 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे औपचारिक रूप से नौसेना को समर्पित किया और इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। भारत के पास दो विमानवाहक युद्धपोत- आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत हैं। इसके साथ ही भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जो खुद के विमानवाहक पोत बना सकते हैं।

 

भारत के साथ इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन जैसे देश ही हैं। वहीं, पाकिस्तान के पास अभी तक एक भी विमानवाहक पोत नहीं है, जिससे यह भारत की नौसेना की ताकत और मजबूत बनाती है। गौरतलब है कि भारत और पूर्वी पाकिस्तान(बांग्लादेश) के साथ हुए 1971 के युद्ध में पुराने INS Vikrant ने भारत की ओर से समुद्री कार्रवाई का नेतृत्व किया था।

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