1987 में आई हॉलीवुड फिल्म ‘वॉल स्ट्रीट’ के एक सीन में एक्टर माइकल डगलस को डायनाटेक मोबाइल फोन से बात करते हुए समुद्र तट पर दिखाया गया है। अगर आप गौर से इस सीन को देखेंगे तो उनके दाएं हाथ में एक वजनदार मोबाइल फोन है जिससे वह बात करते हुए नजर आ रहे हैं। ये वही मोबाइल फोन है, जिसका आविष्कार मार्टिन कूपर ने किया था। 3 अप्रैल, 1973 की सुबह-सुबह न्यूयॉर्क की एक सड़क पर खड़े होकर जब मार्टिन कूपर ने 2 किलो वाले इस मोबाइल से पहली कॉल की, तब उन्हें इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि उनकी ये खोज दुनिया को बदल देगी।
दुनिया का पहला मोबाइल फोन कैसा था?
मोटरोला कंपनी की अपनी टीम के साथ मार्टिन ने दुनिया का पहला मोबाइल फोन तैयार किया। आज की मुद्रा के हिसाब से देखें तो पहला मोबाइल बनाने में करीब 10 लाख से ज्यादा का खर्चा आया होगा। जाहिर सी बात है कि शुरुआती सालों में मोबाइल फोन काफी महंगे थे। साल 1983 तक मोबाइल फोन की कीमत 4 हजार डॉलर से ज्यादा थी, जो कि आज की भारतीय मुद्रा के हिसाब से 3 लाख रुपये से ज्यादा है।
मोटरोला का DynaTAC मोबाइल फोन
1984 में मोटरोला ने डायनाटैक मोबाइल फोन को लॉन्च किया। वजन 1 किलो से अधिक होने के कारण इसे द ब्रिक का भी नाम दिया गया। धीरे-धीरे ये मोबाइल फोन बड़ी हस्तियों से लेकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हाथों में दिखने लगा। कीमत ज्यादा होने के कारण ये मोबाइल फोन आम ग्राहकों की पहुंच से दूर था।
चुनौती से भरा था मोबाइल फोन को बनाना
मार्टिन कूपर ने अपने इंजीनियरों के साथ दुनिया का पहला मोबाइल फोन तैयार किया था। हालांकि, इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी हजारों छोटे-छोटे पार्ट्स को जोड़कर मोबाइल फोन को बनाना। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन सबसे पहले मोबाइल फोन की बैटरी आज की मोबाइल बैटरी से 4-5 गुना ज्यादा बड़ी और वजनदार थी। दुनिया का पहला फोन तैयार करना मार्टिन कूपर की सबसे बड़ी सफलता बनी।
कूपर को नहीं था इस बात का अंदाजा
कूपर को इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि आने वाले सालों में दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने लगेगी। आज ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसके हाथ में छोटा या बड़ा, महंगा या सस्ता मोबाइल फोन न हो। मोबाइल फोन की बहुआयामी सफलता को लेकर मार्टिन ने ये कभी नहीं सोचा होगा कि आज मोबाइल फोन के बिना लोगों की जिंदगी अधूरी है। फेसबुक, एक्स जैसे कई सोशल मीडिया को स्क्रोल करना, अपने करीबियों से बात करना और एक सिंगल फोन से लोगों का मूड भी मोबाइल फोन ही तय करने लगेगा।
कौन से थे पहले मोबाइल नेटवर्क?
1982 में ब्रिटिश सरकार ने देश के पहले सेलुलर फोन नेटवर्क को चलाने के लिए दो कंपनियों को लाइसेंस दिया, जो थी- सेलनेट और वोडाफोन। आपको बता दें कि यूके के मोबाइल नेटवर्क पर पहली कॉल की गई थी। पहला बेस स्टेशन 1984 में स्थापित किया गया था। वोडाफोन ने 1985 को अपना नेटवर्क लॉन्च किया और कुछ दिनों बाद सेलनेट ने भी ऐसा ही किया। 10 सालों के अंदर 20,000 हजार ग्राहक नेटवर्क से जुड़े जो कि तीन साल बाद इसकी संख्या 5 लाख से अधिक हो गई। अब इसका नेटवर्क कवरेज 90 प्रतिशत आबादी तक पहुंच चुका है।
जब मोबाइल फोन ने बदल दिया सबकुछ
मोबाइल फोन की इंडस्ट्री ने छोटे से बड़े मार्केट में तेजी से विकास किया। हाल ये है कि अब हर किसी की जेब में आपको सेलफोन दिख जाता है। 1990 के दशक में इमोटिकॉन्स की एंट्री ने बातचीत की पूरी कहानी बदल कर रख दी।
मोबाइल फोन हैंडसेट से आए बड़े बदलाव
मोबाइल फोन प्रोडक्शन में स्मार्टफोन की एंट्री से एक क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिला। पहले मोबाइल हैंडसेट से केवल बातचीत की जा सकती थी। लेकिन अब इसी मोबाइल फोन में एडंवास टेक्निक के आने से कई एप्लिकेशंस एक साथ मोबाइल फोन में मिलने लगे। समझिए हम पूरा कंप्यूटर सिस्टम एक छोटे से डिब्बे में लेकर चलने लगे हैं। म्यूज़िक प्लेयर, वैब ब्राउज़र, कैमरा, वीडियो कैमरा और न जाने क्या-क्या आपको एक छोटे से डिवाइस में देखने को मिल जाएगा।
किसी वक्त 2 किलो का मोबाइल फोन अपने हाथ में लेकर चलने वाले 95 वर्षीय मार्टीन कूपर भी अब आईफोन जैसा हल्के वजन का फोन इस्तेमाल करते हैं। मार्टीन कूपर मानते हैं कि वे मोबाइल फोन की दुनिया में हो रही तेजी से बदलाव का हिस्सा बना रहना चाहते हैं। मोबाइल में किसी भी नई चीज को समझने के लिए मार्टिन कूपर हर महीने दो महीने में अपना फोन बदलते रहते हैं।