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चंद्रमा के ‘डार्क साइड’ पर छिपे हैं कई रहस्य, वैज्ञानिकों ने की नई खोज

चंद्रमा के डार्क साइड से जुड़े कई रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। लेकिन अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों को एक नई सफलता मिली है। आइए जानते हैं-

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अरबों साल चांद पर हुए थे ज्यालामुखी विस्फोट। (Pic Credit- AI)

पृथ्वी से करीब होते हुए, चंद्रमा से जुड़ी कई विषय वैज्ञानिकों के नजर से दूर हैं। इन्हीं में से रहस्यमयी जगह ‘डार्क साइड’ है। इस जगह से जुड़ा एक नया खुलासा अमेरिकी और चीनी वैज्ञानिकों ने किया है। इसमें यह बताया गया है कि अरबों साल पहले यहां ज्वालामुखी फट रहे थे। चांग-ई-6 मिशन के तहत चीनी अंतरिक्ष यान द्वारा इकठ्ठा किए गए नमूनों का विश्लेषण करते हुए, वैज्ञानिकों ने 4.2 अरब साल पुराने बेसाल्ट (ज्वालामुखीय चट्टान) के टुकड़े पाए हैं। इस शोध को नेचर एंड साइंस में प्रकाशित भी किया गया है।

 

चंद्रमा के डार्क साइड की यह खोज इसलिए भी खास है क्योंकि अब तक वैज्ञानिक केवल चंद्रमा के केवल उस हिस्से पर ज्वालामुखीय गतिविधियों के बारे में जानते थे, जो पृथ्वी से दिखाई देता है। "डार्क साइड" की भूवैज्ञानिक संरचना बिल्कुल अलग है और इस जगह से जुड़े कम शोध हुए। चांग-ई-6 मिशन ने पहली बार चंद्रमा के इस हिस्से से चट्टान और धूल के नमूने एकत्र किए। इस मिशन में कई जोखिम थे और इसे पूरा करने में लगभग दो महीने का समय लगा। चीनी विज्ञान अकादमी के नेतृत्व में, वैज्ञानिकों ने रेडियोमेट्रिक डेटिंग का उपयोग करके इन ज्वालामुखीय चट्टानों की आयु निर्धारित की।

अरबों साल पहले हुआ था ज्वालामुखी विस्फोट

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए विश्लेषण से यह भी पता चला कि इस हिस्से पर करीब 2.83 अरब साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था। यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि चंद्रमा के पृथ्वी की ओर वाले हिस्से पर इस समय के बाद ज्वालामुखीय गतिविधि के प्रमाण नहीं मिले हैं। इस शोध के महत्व को बताते हुए भूविज्ञान और भूभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर चिउली ली ने लिखा, ‘यह चांग-ई-6 के नमूनों पर आधारित पहला भूवैज्ञानिक अध्ययन है और यह चंद्रमा व ग्रह विज्ञान के क्षेत्र में बहुत योगदान देगा।’

 

हालांकि इसे ‘डार्क साइड’ कहा जाता है, लेकिन चंद्रमा के इस हिस्से पर भी सूर्य की रौशनी पड़ती है। इसे ‘डार्क’ इसलिए कहते हैं क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के ग्रुत्वकर्षण के बंधन से बंधा हुआ है। इसका मतलब है कि चंद्रमा का एक ही हिस्सा हमेशा पृथ्वी की ओर रहता है, जबकि दूसरा हिस्सा हमें कभी दिखाई नहीं देता। 1959 में सोवियत अंतरिक्ष यान लूना 3 ने पहली बार इस हिस्से की तस्वीरें ली थीं, हालांकि वे धुंधली थीं। बाद में, नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने इस हिस्से की बेहतर तस्वीरें और वीडियो भेजे। इसी साल चांग-ई-6 मिशन के दौरान, एक छोटे रोवर को चांद इस हिस्से पर उतारा गया, जिसने वहां की सतह पर खड़े लैंडर की सेल्फी ली। इस मिशन ने चंद्रमा के इस छिपे हिस्से की खोज ने विज्ञान में चंद्रमा पर चल रहे शोध को नई दिशा दी है।

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