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क्रिसमस से पहले पृथ्वी के करीब से गुजरेगा एस्टेरॉयड, क्या हमें है खतरा

क्रिसमस से ठीक एक दिन पहले एस्टेरॉयड 24 दिसंबर को पृथ्वी के पास से गुजरेगा, जिसका आकार एक बड़े विमान के जैसा है।

AI image of Asteroid

प्रतीकात्मक चित्र। (Freepik)

साल 2024 का क्रिसमस बहुत ही मजेदार रहने वाला है। बता दें कि नासा ने एक तेजी से चलने वाले एस्टेरॉयड को पृथ्वी की ओर बढ़ते हुए देखा है, जिसका आकार एक हवाई जहाज के बराबर है। यह एस्टेरॉयड 24 दिसंबर को पृथ्वी के पास से गुजरेगा। अब सवाल उठता है कि क्या इससे डरने की जरूरत है?

एस्टेरॉयड 2024 XN1

वैज्ञानिकों ने इस एस्टेरॉयड का नाम 2024 XN1 रखा है और यह 24 दिसंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 08:27 बजे पृथ्वी के पास से गुजरेगा। नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) के अनुसार, इसकी चौड़ाई लगभग 120 फीट (37 मीटर) है, जो एक बड़े विमान के आकार के जैसा है। नासा के मुताबिक, यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से करीब 7,220,000 किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा और इसकी गति 23,729 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी।

क्या यह खतरनाक है?

अच्छी खबर यह है कि 2024 XN1 को खतरनाक नहीं माना गया है। नासा उन एस्टेरॉयड्स को ‘संभावित खतरनाक’ की श्रेणी में रखता है जो 150 मीटर से बड़े होते हैं और पृथ्वी के 4.6 मिलियन मील (7.4 मिलियन किलोमीटर) के अंदर से गुजरते हैं। यह एस्टेरॉयड आकार में छोटा है और खतरनाक दायरे से बाहर है, इसलिए किसी भी प्रकार की चिंता की बात नहीं है।

एस्टेरॉयड्स के खतरे का इतिहास

हालांकि, एस्टेरॉयड हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इतिहास में एक विनाशकारी घटना 66 मिलियन साल पहले घटी थी, जब लगभग 10-15 किलोमीटर चौड़ा एक विशाल एस्टेरॉयड मेक्सिको के पास पृथ्वी से टकराया था। इस घटना के कारण पृथ्वी पर 75% वनस्पति और जीव-जंतु लुप्त हो गए थे, जिसमें डायनासोर भी शामिल थे। इसी वजह से नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां इन एस्टेरॉयड्स की गतिविधियों पर बारीकी से नजर बनाए रखती हैं।

नासा एस्टेरॉयड्स की निगरानी कैसे करता है?

नासा विभिन्न अंतरिक्ष और जमीन में बने टेलीस्कोप के सहयोग से एस्टेरॉयड्स को ट्रैक करता है। जिसमें पैन-स्टार्स1 टेलीस्कोप और NEOWISE टेलीस्कोप शामिल है। ये टेलीस्कोप समय-समय पर आकाश में तस्वीरें लेते हैं, जिसमें तारों और आकाशगंगा की गतिविधि स्थिर रहती है, वहीं एस्टेरॉयड्स की गति साफ दिखाई देती है।

 

जब किसी एस्टेरॉयड की पहचान हो जाती है, तो वैज्ञानिक उसकी कक्षा का विश्लेषण करते हैं और जानकारी नासा के CNEOS डेटाबेस में दर्ज करते हैं ताकि किसी भी खतरे से निपटा जा सकें।

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