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9वीं क्लास के लड़के ने खोजा एस्टेरॉयड, NASA ने दिया नाम रखने का मौका

नोएडा के नौवीं क्लास के दक्ष ने एक नए एस्ट्रॉयड की खोज की है, जिसे NASA ने मान्यता दी है। दक्ष ने एस्ट्रॉयड का नाम भी सोच लिया है, जानिए।

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नौवीं क्लास का छात्र दक्ष मलिक।(Photo Credit: KV Iyyer - BHARAT/X)

नोएडा के शिव नाडर स्कूल के नौवीं क्लास के छात्र दक्ष मलिक ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ा कारनामा कर दिखाया है। दक्ष और उनके दो दोस्तों ने मिलकर एक नए दक्ष ने एक एस्ट्रॉयड की खोज की और उन्हें NASA से भी मान्यता प्राप्त हुई। इसके साथ दक्ष ने ‘प्रोविजनल एस्ट्रॉयड डिस्कवरी’ की है, जिसका मतलब है कि भविष्य में वह इस एस्ट्रॉयड को नाम देने का अधिकार रखता है। फिलहाल इस एस्ट्रॉयड का नाम ‘2023 OG40’ रखा गया है, जिसमें 2023 इसे खोजे जाने का साल है।

अंतरिक्ष के लिए जुनून

दक्ष मलिक ने बताया कि अंतरिक्ष के विषय उनकी रुचि बचपन से रही है। उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से अंतरिक्ष के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहा हूं। नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर ग्रह और सौरमंडल से जुड़े डॉक्यूमेंट्री देखना मुझे बेहद पसंद है। यह मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा है।'

एस्ट्रॉयड खोजने का मौका

दक्ष और उनके दो दोस्तों ने एक साल से ज्यादा समय तक International Asteroid Discovery Project (IADP) के तहत एस्ट्रॉयड की खोज में मेहनत की। यह अवसर उन्हें 2022 में उनके स्कूल के एस्ट्रोनॉमी क्लब की तरफ भेजे गए एक ईमेल के जरिए मिला। बता दें कि IASC NASA से जुड़ा कार्यक्रम है, जिसके तहत दुनिया भर के लोग, जिनमें छात्र भी शामिल होते हैं, NASA के लिए एस्ट्रॉयड की खोज सकते हैं।

दक्ष का का कैसा रहा अनुभव

दक्ष और उनके दोस्तों ने IASC से मिले टास्क में उन्होंने आसमान में ऐसे खगोलीय पिंडों की तलाश की जो एस्ट्रॉयड हो सकते हैं। इसके लिए उन्हें उन चीजों की पहचान करनी थी जो चल रहे हों और जिनसे निकलने वाली रोशनी एस्ट्रॉयड की सीमा के अंदर हो। दक्ष ने बताया, 'मुझे ऐसा लगा जैसे मैं NASA में काम कर रहा हूं।' उन्होंने इसे एक ‘मजेदार एहसास’ बताया।

NASA की मान्यता और भविष्य की प्रक्रिया

NASA ने दक्ष की खोज को मान्यता देते हुए इसे एक ‘प्रोविजनल डिस्कवरी’ के तौर पर स्वीकार किया है। हालांकि, इस एस्ट्रॉयड को स्थायी नाम देने से पहले NASA इसपर और गहन तरीके से खोज करेगा और अपनी प्रक्रिया पूरी करेगा, जिसमें 4-5 साल का समय लग सकता है। दक्ष ने बताया कि उन्होंने इस क्षुद्रग्रह के लिए कुछ अनोखे नाम सोचे हैं, जिनमें ‘डिस्ट्रॉयर ऑफ द वर्ल्ड’ और ‘काउंटडाउन’ जैसे नाम भी शामिल हैं।

 

बात दें कि IADP और IASC के माध्यम से हर साल लगभग 6,000 प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही नए एस्ट्रॉयड खोजने में सफल हो पाते हैं। दक्ष से पहले भारत के केवल पांच और छात्रों ने एस्ट्रॉयड खोजे हैं।

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