अंतरिक्ष रहस्यों से भरा हुआ हुआ, जिसकी खोज में कई स्पेस एजेंसियां जुटी हुई हैं। इसी कर्म में पृथ्वी के सबसे करीब चांद पर भी कई शोध चल रहे हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा चांद पर इंसानों के लिए एक स्थायी वातावरण बनाने की दिशा में काम भी कर रहा है। इस प्रयास के तहत, वैज्ञानिक इस बात का भी अध्ययन कर रहे हैं कि अलग-अलग गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में समय कैसे काम करता हैं, खासतौर पर पृथ्वी की तुलना में। इसी में चांद पर हुए समय के शोध में चौकाने वाला खुलासा किया गया है।
चांद पर समय तेजी से चलता है
द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में यह बताया गया कि चांद पर समय पृथ्वी के मुकाबले तेज चलता है। जब कोई घड़ी चांद के पास रखी जाती है, तो वह हर दिन 56.02 माइक्रोसेकंड अतिरिक्त समय जोड़ती है।
इस शोध में खासतौर पर लैग्रेंज पॉइंट्स पर घड़ियों के व्यवहार का अध्ययन किया गया। लैग्रेंज पॉइंट्स अंतरिक्ष में ऐसे विशेष स्थान हैं जहां गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित रहता है। ये पॉइंट वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष यान के लिए रास्ता तय करने और स्टेजिंग प्वाइंट खोजने में मदद करते हैं। चांद से पृथ्वी तक यात्रा करने वाले यान इन पॉइंट्स का इस्तेमाल पर खोज कर सकते हैं।
लैग्रेंज पॉइंट्स की भूमिका
लैग्रेंज पॉइंट्स अंतरिक्ष में संचार बनाए रखने में भी सहायक होते हैं। ये पॉइंट्स सुनिश्चित करते हैं कि वैज्ञानिक और शोधकर्ता अंतरिक्ष में दूरी और अलग-अलग गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण होने वाली देरी के बावजूद एक सटीक संचार प्रणाली प्राप्त कर सकें।
इसके अलावा, ये पॉइंट्स सटीक समय निर्धारण में भी मदद करते हैं, जो अंतरिक्ष यान के नेविगेशन के लिए जरूरी हैं। अंतरिक्ष यान को ग्रहों के समय और गति से मेल खाना होता है ताकि वह सुरक्षित लैंडिंग कर सके और किसी भी टकराव से बच सकें। यह सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष अभियानों का संचालन सुचारू रूप से हो।
आने वाले समय के लिए योजना
नासा आर्टेमिस प्रोग्राम के लॉन्च की तयारी में जूता हुआ है। इस मिशन के तहत 2025 तक चांद पर फिर से मानव को भेजने और वहां स्थायी बेस बनाने की योजना है। इसके साथ चांद के खनिज संसाधन, जल बर्फ, और संभावित ऊर्जा केंद्रों पर वैज्ञानिकों का अध्ययन जारी है।
इसी कड़ी में बीते साल 2023 में भारत के चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता से लैंडिंग की, जो ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन गया है। इसने पहली बार दक्षिणी ध्रुव पर सतह का तापमान मापा था। जिसमें दिन के समय 50 डिग्री सेल्ससियस तक पाया गया, जबकि जमीन के 10 सेंटीमीटर नीचे का तापमान -10 डिग्री सेल्ससियस तक था। वहीं इसने चांद पर एल्यूमिनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, और टाइटेनियम जैसे तत्वों के होने की भी पुष्टि की।