भारत डिजिटल पता की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठा रहा है। भारतीय डाक विभाग, 'डिजिटल हब फॉर रेफरेंस एंड यूनिक वर्चुअल एड्रेस' (DHRUVA) ला रहा है। यह एक तरह का डिजिटल पब्लिक एड्रेस है, जिसकी मदद से अब पता बताना आसान हो जाएगा। जैसे आधार कार्ड का एक नंबर होता है, UPI का एक यूजरनेम होता है, वैसे ही आपके पते का भी एक नंबर, लेबल और यूजरनेम होगा।
DHRUVA के आने से आपको लंबा-चौड़ा पता लिखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह एक यूजरनेम की तरह होगा। जैसे अगर आप Geeta@Dhruva लिखेंगे और आपके घर का पता मिल जाएगा। जिस कंपनी में आप अपना यूजर नेम बताएंगे, उसके पास आपका डिजिटल एड्रेस पहुंच जाएगा। पोस्ट डिपार्टमेंट ने मई में यह प्रस्ताव दिया था और अब इसके लिए पोस्ट ऑफिस एक्ट में संशोधन का ड्राफ्ट भी जारी हो चुका है।
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DIGIPIN क्या है, कैसे काम करेगा?
डिजिटल एड्रेस के लिए नया 10 अंकों वाला डिजिटल पिन कोड जारी होगा। DHRUVA के लिए एक DIGIPIN होगा। यह 10 अंकों का अल्फान्यूमेरिक कोड है होगा। ठीक वैसे ही, जैसे किसी इलाके का पिन कोड होता है। देश के हर 12 वर्ग मीटर जमीन के लिए अलग DIGIPIN होगा। शहरों से दूर-दराज इलाकों में, पहाड़ी इलाकों में, जहां सही पता लिखना मुश्किल होता है, वहां डिलीवरी करने वाले को GPS की मदद से सटीक लोकेशन मिल जाएगी। इंडिया पोस्ट ने इसे खुद बनाया है और इसे ओपन-सोर्स रखा गया है, जिससे कोई भी इस्तेमाल कर सके।
DHRUVA कैसे काम करेगा?
DHRUVA का ईमेल जैसा पता होगा। मान लीजिए कि आपका DHRUVA यूजरनेम है Geeta@dhruva, तो किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से ऑर्डर करते वक्त आप सिर्फ यही 'यूजरनेम' देंगे। आपकी परमिशन से कंपनी को आपका पूरा पता और डिजिटल पिन कोड दोनों मिल जाएगा। यह आप तय कर सकेंगे कि कौन सी कंपनी को कब तक आपका पता इस्तेमाल करने की इजाजत है। घर बदलने पर भी एक बार अपडेट करेंगे तो सारी रूटीन डिलीवरी अपने आप नए पते पर आने लगेंगी। बिल्कुल UPI ID की तरह यह सुरक्षित होगा।
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DHRUVA को चलाएगा कौन?
एड्रेस सर्विस प्रोवाइडर्स: यूजरनेम या लेबल बनाएंगे। यूजर नेम कुछ ऐसा हो सकता है- Geeta@dhruva
एड्रेस वैलिडेशन एजेंसी: पता सही है या गलत, इनका काम यह चेक करना होगा।
एड्रेस इन्फॉर्मेशन एजेंट्स: DHRUVA के लिए आपकी सहमति अपडेट करेंगे।
NPCI की तरह एक गवर्नेंस बॉडी होगी, जो पूरा सिस्टम देखेगी।
आम आदमी को क्या फायदा होगा?
- पता बार-बार नहीं लिखना पड़ेगा।
- प्राइवेसी रहेगी, बिना इजाजत कोई पता नहीं ले सकेगा।
- घर शिफ्ट करने पर आपकी लोकेशन अपडेट हो जाएगी।
- गांव-कस्बों में भी सटीक डिलीवरी होगी।
- होम डिलीवरी ऐप के लिए क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
नुकसान क्या है?
DHRUVA के आलोचकों का कहना है कि यह डिजिटल एड्रेस,व्यक्ति आधारित होगा। अगर लोग कंसेंट नहीं देंगे तो शहरों की पूरी बिल्डिंग्स और पॉपुलेशन से जुड़े आंकड़े को जुटाने में मुश्किलें आएंगी। दुनिया के ज्यादातर देशों में डिजिटल एड्रेस में पर्सनल डेटा नहीं जोड़ा जाता, जिससे बिना कंसेंट के भी पूरा मैप बन जाता है। सरकार को इस पर और सोचना होगा।
कब तक पास होगा?
पोस्ट ऑफिस एक्ट में संशोधन का ड्राफ्ट आ चुका है। जैसे ही कानून पास होगा, DHRUVA और DIGIPIN पूरे देश में लागू हो जाएंगे। इसके बाद ऑनलाइन शॉपिंग, फूड डिलीवरी, कैब बुकिंग, यहां तक कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी एक क्लिक में सही पते पर पहुंच सकता है। ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम की तरह ही, देश एक बार फिर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में दुनिया को नया मॉडल दे सकता है।