भारत सरकार ने पारंपरिक पिन कोड सिस्टम को और अधिक सटीक और आधुनिक बनाने के लिए DIGIPIN (Digital Postal Index Number) की शुरुआत की है। यह सिस्टम भारतीय डाक विभाग, आईआईटी हैदराबाद और इसरो के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र के सहयोग से विकसित की गई है। DIGIPIN का उद्देश्य देश के हर जगह को एक खास डिजिटल पहचान देना है, जिससे डिलीवरी सेवाओं, आपातकालीन सेवाओं और सरकारी योजनाओं की पहुंच अधिक प्रभावी हो सके।
DIGIPIN कैसे काम करता है?
DIGIPIN सिस्टम भारत के पूरे भूभाग को लगभग 4 मीटर x 4 मीटर के छोटे-छोटे ग्रिड में विभाजित करती है। हर ग्रिड को एक 10-अक्षर का अल्फान्यूमेरिक कोड दिया जाता है, जो उस जगह के latitude और longitude के आधार पर निर्धारित होता है। यह कोड उस जगह की सटीक पहचान प्रदान करता है, जिससे डिलीवरी और अन्य सेवाओं में अधिक सटीकता आती है।
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DIGIPIN के फायदे
DIGIPIN सिस्टम पारंपरिक पिन कोड की तुलना में अधिक सटीक है, क्योंकि यह छोटे ग्रिड्स के माध्यम से जगह की पहचान करती है। इससे डिलीवरी सेवाओं में त्रुटियां कम होती हैं।
आपातकालीन स्थितियों में, जैसे कि एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड की आवश्यकता होने पर, DIGIPIN के माध्यम से सटीक जगह की पहचान संभव होती है, जिससे समय पर सहायता मिलती है।
जहां पारंपरिक पते उपलब्ध नहीं होते, वहां DIGIPIN के माध्यम से जगह की पहचान संभव होती है, जिससे सरकारी योजनाओं और सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित होती है। इसके साथ DIGIPIN को कई डिजिटल सर्विसेज, जैसे कि ई-कॉमर्स, बैंकिंग और सरकारी पोर्टलों के साथ एकीकृत किया जा सकता है, जिससे इन सेवाओं की काम करने की दक्षता बढ़ती है। साथ ही DIGIPIN सिस्टम में व्यक्तिगत पता जानकारी सेव नहीं होता है, जिससे यूजर की गोपनीयता बनी रहती है।
DIGIPIN का इस्तेमाल कैसे करें?
- उपयोगकर्ता अपने जगह का DIGIPIN जानने के लिए mydigipin.com या India Post DIGIPIN पोर्टल पर जा सकते हैं।
- पोर्टल पर जाकर, उपयोगकर्ता अपना पता या जगह के अक्षांश और देशांतर की जानकारी दर्ज करें।
- जानकारी दर्ज करने के बाद, पोर्टल उपयोगकर्ता को संबंधित DIGIPIN प्रदान करेगा, जिसे सेवाओं में उपयोग किया जा सकता है।
- DIGIPIN पाने के लिए, जगह की सटीक जानकारी देना जरूरी है, जिससे कोड की सटीकता मिलती हो।
- DIGIPIN में निजी जानकारी सेव नहीं होती, फिर भी इसे सिर्फ जरूरी सेवाओं के लिए साझा करें।