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GDP का आम आदमी पर असर क्या होता है? समझिए

GDP के आंकड़ों के बारे में आप खूब सुनते हैं, इसका आम आदमी पर असर क्या होगा, आइए समझते हैं।

GDP

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: ChatGpt)

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का पहला एडवांस इस्टीमेट (FAFs) जारी किया है। वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.4 फीसदी रह सकता है। यह अग्रिम अनुमान है, बीते साल की तुलना में यह आंकड़ा 8.2 फीसदी का था।

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित विकास दर बीते 4 साल में सबसे निचले स्तर पर है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 6.7 की ग्रोथ के बाद दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था 5.4 फीसदी की दर से बढ़ रही है।

केंद्र सरकार ने बजट 2025-26 से कई सप्ताह पहले ही ये आंकड़े सार्वजनिक किए हैं। सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (CSO) की ओर से साल में 4 बार जीडीपी आंकलन के आंकड़े जारी होते हैं। 

एडवांस जीडीपी क्यों जारी होता है?
केंद्रीय बजट तैयार करने में ये आंकड़े अहम भूमिका निभाते हैं। वित्त वर्ष 2024 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान ग्रोथ में गिरावट आई है। दूसरी तिमाही की मंदी के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2024 के लिए अपने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी किया था। 

अब आंकड़े बता रहे हैं कि साल 2025 के लिए रियल ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) में 9.3 फीसदी का इजाफा हो सकता है, जो बीते वित्त वर्ष की तुलना में 8.5 फीसदी से थोड़ी ज्यादा है। MoSPI का कहना है कि भारत का नॉमिनल जीडीपी करीब 324 लाख करोड़ रुपये मार्च के अंत तक होगा।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी के प्री इस्टीमेशन में 8.2% की वृद्धि दर की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी में 6.4% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी में 9.7% वृद्धि दर देखी गई है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में 9.6% की वृद्धि दर देखी गई थी।

GDP का आम आदमी पर असर क्या?
GDP देश की प्रगति का रिपोर्ट कार्ड है। जिस सेक्टर में इजाफा नजर आता है, वह दिखाता है कि उस क्षेत्र में आमदनी और अवसर दोनों बढ़ने वाले हैं। अगर अर्थव्यवस्था बेहतर दिशा में जा रही है तो इसका मतलब है कि GDP में उछाल होगा। ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) में अगर बढ़ोतरी होती है तब माना जाता है कि देश का आर्थिक विकास ठीक हो रहा है। अगर जीडीपी की दर निगेटिव है तो अर्थव्यवस्था के धीमे होने के संकेत है। जिन क्षेत्रों में नकारात्मक प्रदर्शन होता है, वहां सुधार की कोशिशें की जाती हैं।  

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