शादी जीवन का सबसे खुबसूरत पल होता है। नवंबर से जनवरी तक कई जोड़े शादी के बंधन में बंधेंगे। शादी के बाद कपल हनीमून जाने तक का प्लान बना लेता है, लेकिन सबसे बड़ी चीज भूल जाता है और वो है मैरिज सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करना। अगर आपकी नई-नई शादी हुई है तो आपको तुरंत ही मैरिज सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई कर देना चाहिए। इसे आप शादी के बाद 30 दिन के भीतर अप्लाई कर सकते है। हालांकि, ऐसे भी मामले देखें गए है जिसमें कई लोगों का मैरिज सर्टिफिकेट रद्द हो जाता है।
मैरिज सर्टिफिकेट यानी विवाह प्रमाण पत्र हर किसी का नहीं बन सकता है। जी हां, इसके भी कड़े नियम है जिसे भारतीय निवासियों को फॉलो करना चाहिए। तो आइये जान लेते है वो सभी नियम....
मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आपकी उम्र का वैलिड होना बेहद जरूरी
भारत में कानूनी रूप से लड़की की शादी की उम्र 18 साल और लड़के की 21 साल है। इसमें अगर शादी की तारीख पर दोनों में से किसी की भी उम्र कम होती है, तो उसका मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनेगा। नियमों के मुताबिक, शादी की तारीख पर लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होनी जरूरी है। अगर ऐसा नहीं पाया गया तो ऐसी शादी को वैध नहीं माना जाएगा और ऐसे लोगों का मैरिज सर्टिफिकेट भी नहीं बनेगा।
दिल्ली के बाहर शादी की है तो नहीं बनेगा मैरिज सर्टिफिकेट
अगर व्यक्ति दिल्ली में रहता है और उसने दिल्ली के बाहर शादी की है, तो उसका मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन पाएगा। वहीं, भारत के अन्य राज्यों में भी यहीं नियम लागू होगा। इसके अलावा शादी के 5 साल के भीतर मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनवाने पर व्यक्ति को बाद में सर्टिफिकेट बनवाने की अनुमति नहीं होगी।
कब करना होता है आवेदन?
मैरिज सर्टिफिकेट 30 दिनों के भीतर बनवाना होता है। अगर 30 दिनों के भीतर आवेदन नहीं किया तो उसके बाद लेट फीस के साथ 5 साल तक कभी भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए मैरिज रजिस्ट्रार से अनुमित लेनी पड़ती है।