हर साल, देश के कई हिस्सों में ऐसी खबरें सामने आती हैं कि कुछ एजेंट, सेकेंड हैंड, पुरानी या दुर्घटनाग्रस्त को नई कार बताकर बेच देते हैं। ग्राहक को जब तक पता चलता है, बहुत देर हो चुकी होती है। कोर्ट और पुलिस के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। अगर आप अधिकृत एजेंसी से कार खरीदने जा रहे हैं तो अगर आप कुछ आसान सी पूछताछ अगर कर लेते हैं तो आपको पता चल जाएगा कि आपकी गाड़ी नई है या किसी और के नाम बिक चुकी थी, आप इसके सेकेंड हैंड मालिक हैं।
एक बड़ी कार कंपनी के मैनेजर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'आमतौर पर ऐसा न के बराबर या बेहद कम होता है कि आधिकारिक एजेंसी आपको नई कार के नाम पर पुरानी कार बेच दे। अगर बेच रही है तो आपको कारण भी कंपनी बताती है, आपको छूट भी मिलती है। अगर फिर भी आप अपनी संतुष्टि के लिए यह जानना चाहते हैं कि आपको नई कार मिल रही है या पुरानी तो कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं।'
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नई कार है या पुरानी जांचने के लिए क्या करें?
- रजिस्ट्रेशन: कोई भी कार बिकती है तो उसका रजिस्ट्रेशन होता है। कार का रजिस्ट्रेशन, जिसके भी नाम होता है, उसे ट्रांसपोर्ट विभाग की आधिकारिक वेबसाइट देखा जा सकता है। अगर आपको किसी और की कार बेची जा रही है तो आप उस कार के सेकेंड ऑनर होंगे। आप नाम वेबसाइट पर चेक कर सकते हैं।
- इंश्योरेंस: ट्रांसपोर्ट विभाग के नियमों के अनुसार कोई भी कार बिना रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस के एजेंसी से बाहर सड़क पर नहीं निकल सकती है। रजिस्ट्रेशन भी एक ही बार होता है, बीमा होगा तो आप कार नंबर से इसे आसानी से चेक कर सकते हैं।
- चेसिस नंबर: हर गाड़ी का एक व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN) नंबर होता है। इसे चेसिस नंबर के तौर पर भी जानते हैं। भारत में 17 डिजिट का एक अल्फान्यूमेरिक कोड होता है जो यूनीक होता है। ईयर ऑफ मैन्युफैक्चर पोर्ट भी चेसिस नंबर पर लिखा होता है।
- टायर: कार की टायर पर मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखी होती है। टायर पर एक 'मेक कार्ट' होता है। वहां एक छोटे से स्क्वायर में दो नंबर लिखे होते हैं। जैसे अगर किसी कार पर 34-21 लिखा है तो इसका मतलब है कि टायर, साल 2021 के 34वें हफ्ते में बना है। आप इसे देखकर जान सकते हैं कि कार कितनी पुरानी है।
- प्री डिलीवरी इंसपेक्शन: बड़े शहरों में अब कई एजेंसियां हैं तो प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन (PDI) कराती हैं। PDI स्टार्टअप, आपसे 1000 या 2000 चार्ज करते हैं लेकिन गाड़ी की पूरी छानबीन कर देते हैं। आप इन्हें एजेंसी पर ले जाकर गाड़ी दिखा सकते हैं। उनकी टीम कार से जुड़ी हर जानकारी आप को सौंप देगी। जैसे पहले सेकेंड हैंड कार खरीदने लोग किसी ऑटो मैकेनिक को लेकर जाते थे, ठीक वैसे ही यह काम अब कुछ एजेंसियां करा रही हैं।
- HSRP नंबर: दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में कोई भी कार सड़क पर बिना हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट के नहीं निकल सकती। कार अगर आप तत्काल घर पर चाहते हैं तो ऐसा अब नहीं होता है। एक बार किसी कार का रजिस्ट्रेशन हो गया है तो वह मालिक के नाम पर ही रजिस्टर होगा। कोई दूसरा खरीदेगा तो उसका दूसरा मालिक ही कहलाएगा, जो ट्रांसपोर्ट विभाग पर आसानी से शो करेगा।
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एक बात और जिसे जानना जरूरी है
एक कार कंपनी के बड़े अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'हर गाड़ी की मैन्युफैक्चरिंग डेट उसके मॉडल पर लिखी होती है। अगर कोई कार, 2 या 3 साल से बिकी नहीं है तो एजेंसी आपको इस बारे में बताती है। कोई कार 2022-23 में बनी है लेकिन अभी तक बिकी नहीं है तो आपको इसके बारे में बेचने से पहले कंपनी बताती है। कंपनी इसके लिए आपको छूट ऑफर भी करती है। डीलर के पास अगर कार महीनों से खड़ी है तो भी, जिस दिन, कार बिकती है, उसी दिन से उसकी उम्र अगले 10 या 15 साल के लिए तय की जाती है।'