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15 साल पुरानी गाड़ियों को अनफिट मानकर प्रतिबंध क्यों लगाए जाते हैं?

भारत सरकार ने 15 साल पुरानी हो चुकी गाड़ियों पर प्रतिबंध लागू है। ऐसा क्यों किया गया है, इससे पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है, आइए जानते हैं।

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सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: Freepik)

हाल ही में दिल्ली सरकार ने ये ऐलान किया है कि 15 साल पुराने गाड़ियों को पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा। यह नियम 1 अप्रैल से लागू होगा। बता दें कि आज के समय में सड़कों पर बढ़ती गाड़ियों की संख्या के साथ प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या बन गया है। इसी वजह सरकार ने 15 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों को अनफिट मानते हुए उन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। यह नियम न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षा के लिए बल्कि सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। आइए समझते हैं कि 15 साल पुरानी गाड़ियों पर यह प्रतिबंध क्यों लगाया जाता है।

बढ़ता वायु प्रदूषण

पुरानी गाड़ियां वर्तमान समय के मानकों पर खड़ी नहीं होतीं हैं, जिससे उनसे ज्यादा धुआं और हानिकारक गैसें निकलती हैं। 15 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों में पेट्रोल और डीजल सही ढंग से नहीं जलते, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और दूसरे जहरीली गैसें निकलती हैं। यह प्रदूषण हवा की क्वालिटी को खराब करता है और सांस से जुड़ी बीमारियों की वजह बनता है।

 

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सड़क सुरक्षा की चिंता

पुरानी गाड़ियों की बनावट और टेक्नॉलोजी समय के साथ कमजोर हो जाती है। इनका ब्रेकिंग सिस्टम, सस्पेंशन और दूसरे जरूरी हिस्से धीरे-धीरे घिस जाते हैं, जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। नए गाड़ियों में सेफ्टी फीचर्स जैसे एयरबैग, एबीएस (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) और क्रैश टेस्टेड डिजाइन होते हैं लेकिन पुरानी गाड़ियों में ये सुविधाएं या तो नहीं होतीं हैं और यदि कोई बाहर से इसे जुड़वाता भी है तो ये पुरानी गाड़ियों के साथ कितना सुरक्षित है इसका किसी को अंदाजा नहीं होता है, जिससे सड़क हादसों का खतरा बढ़ जाता है।

ईंधन की ज्यादा खपत

ऐसा भी देखा जाता है कि पुरानी गाड़ियां नई गाड़ियों की तुलना में ज्यादा ईंधन खर्च करती हैं। 15 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों का माइलेज समय के साथ कम हो जाता है और इंजन भी अच्छी तरह काम नहीं करता है। इससे पेट्रोल और डीजल की ज्यादा खपत होती है, जिससे न सिर्फ गाड़ी मालिक का खर्च बढ़ता है बल्कि देश के ऊर्जा संसाधनों पर भी दबाव पड़ता है।

सरकार द्वारा तय किए गए मानक

भारत में पर्यावरण सुरक्षा के लिए बीएस (भारत स्टेज) मानक लागू किया गया है। इस समय बीएस-6 मानक लागू है, जो बहुत कम प्रदूषण करने वाली गाड़ियां बनाने के लिए अनिवार्य है। 15 साल पुरानी गाड़ियां बीएस-1, बीएस-2 या ज्यादा से ज्यादा बीएस-3 मानक की होती हैं, जो आज के समय में बहुत ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं। इसी वजह से इन गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है। साथ ही सरकार द्वारा बनाए नियम के तहत, यदि कोई गाड़ी 15 या इससे ज्यादा साल से सर्वजनिक जगह पर जब्त होती है तो इसपर 5 से 10 हजार रुपए तक का जुर्माना भी झेलना पड़ सकता है।

 

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सरकार की स्क्रैपिंग पॉलिसी

कई बार यह भी देखा गया है कि पुरानी गाड़ियों को कबाड़ की तरह छोड़ देते हैं, जो पर्यावरण पर और ज्यादा नकारात्मक असर डालता है। इन्हें सही तरीके से स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत रिसाइकिल किया जाए तो इससे नए वाहन निर्माण आसान होगा और पुरानी लोहे और अन्य चीजें का फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। सरकार ने पुराने गाड़ियों के लिए 'व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी' लागू की है, जिससे प्रदूषण कम करने और ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

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