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क्या भारतीय साहूकारों नें की थी ईस्ट इंडिया कंपनी को फंडिंग?

तस्वीर: इंडियन एक्सप्रेस/योगेश पाटिल

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प्लासी के युद्ध से कुछ समय पहले, नवाब सिराजुद्दौला के दरबार में एक घटना घटी। मेहताब राय और स्वरूप चंद नाम के दो मारवाड़ी साहूकारों को दरबार में बुलाया गया और सिराजुद्दौला ने उनसे ₹1 करोड़ की मांग की। उन्होंने इनकार कर दिया। इतिहासकार विलियम डैम्पल ने अपनी पुस्तक "द एनार्की" में लिखा है कि यह सुनकर सिराजुद्दौला क्रोधित हो गए और उन्होंने घोषणा की, "मैं तुम्हारा खतना करवा दूँगा।" परिणामस्वरूप, भारत ईस्ट इंडिया कंपनी का गुलाम बन गया। ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम सुनते ही हमारे मन में एक खास छवि उभरती है: बड़ी तोपों से लैस जहाज और लाल वर्दी पहने गोरे सैनिक। अधिक जानने के लिए अलिफ़ लैला का पूरा एपिसोड देखें।

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