logo

ट्रेंडिंग:

आपके साबुन में किसकी चर्बी है?

तस्वीर: इंडियन एक्सप्रेस/योगेश पाटिल

शेयर करें

साबुन का इतिहास लगभग 5,000 साल पुराना है, जब बेबीलोन, मिस्र और रोमन जैसी पुरानी सभ्यताओं ने पहली बार जानवरों की चर्बी और लकड़ी की राख का सफ़ाई वाला मिक्सचर खोजा था। मिस्र के लोग पूजा-पाठ के लिए खुशबूदार तेल और एल्कलाइन नमक का इस्तेमाल करते थे, जबकि रोमन लोगों ने पब्लिक बाथ को पॉपुलर बनाया, जिससे पूरे यूरोप में साबुन का कल्चर फैल गया। मिडिल एज तक, साबुन बनाना एक क्राफ्ट बन गया, जिसके सेंटर मार्सिले, वेनिस और अलेप्पो में थे, जो अपने ऑलिव ऑयल-बेस्ड नेचुरल साबुन के लिए जाने जाते थे। 19वीं सदी में इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन ने साबुन को बड़े पैमाने पर बनने वाली चीज़ बना दिया, जिसका क्रेडिट सैपोनिफिकेशन जैसे केमिकल इनोवेशन और बाद में 20वीं सदी में सिंथेटिक डिटर्जेंट को जाता है। आजकल के साबुन स्किनकेयर के पावरहाउस बन गए हैं, जो बॉटैनिकल एक्सट्रैक्ट, एसेंशियल ऑयल, एक्टिवेटेड चारकोल, ग्लिसरीन और इको-फ्रेंडली सर्फेक्टेंट से भरपूर होते हैं। ऑर्गेनिक स्किनकेयर, वीगन फॉर्मूलेशन और ज़ीरो-वेस्ट पैकेजिंग जैसे ट्रेंड के साथ, साबुन बेसिक हाइजीन से सेल्फ-केयर और सस्टेनेबिलिटी का सिंबल बन गया है।

 

Ad Banner

ट्रेंडिंग वीडियो


और देखें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap