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कैसे काम करती है हॉक आई टेक्नोलॉजी?

तस्वीर: इंडियन एक्सप्रेस/योगेश पाटिल

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प्रोफेशनल क्रिकेट की शुरुआत के समय LBW को लेकर कोई विशेष नियम नहीं थे। लेकिन खेल के विकास और सटीक निर्णय सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का उपयोग बढ़ता गया। इसी क्रम में 2000 के दशक में Hawk-Eye तकनीक का उपयोग शुरू हुआ। जल्द ही, इस तकनीक ने टेस्ट, ODI, T20, और IPL जैसे प्रारूपों में अपनी जगह बना ली।  Hawk-Eye तकनीक ने अंपायर्स और खिलाड़ियों के लिए निर्णय प्रक्रिया को आसान और सटीक बनाया, लेकिन इसके साथ कुछ विवाद भी जुड़े। कुछ मैचों में इस तकनीक पर सवाल उठाए गए, और इसके निर्माताओं को माफी मांगने की स्थिति तक पहुंचना पड़ा।

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