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रतन टाटा के बाद बंट गया टाटा ग्रुप, समझिए पूरा विवाद

तस्वीर: इंडियन एक्सप्रेस/योगेश पाटिल

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लेकिन रतन टाटा के निधन के ठीक एक साल बाद, अक्टूबर 2025 तक, टाटा समूह का नेतृत्व दो धड़ों में बँट गया है। टाटा ट्रस्ट्स का नेतृत्व दो खेमों में बँट गया है: एक का नेतृत्व नोएल टाटा कर रहे हैं और दूसरे का मेहली मिस्त्री। मेहली मिस्त्री का गुट अब नोएल टाटा के फैसलों को मानने से इनकार कर रहा है और चेयरमैनशिप पर कई निगरानी तंत्रों की भी माँग कर रहा है। हालाँकि, नोएल टाटा का गुट चीज़ों को वैसे ही चलने देने पर अड़ा है। इस पूरे बोर्डरूम विवाद में, जनता की सहानुभूति भले ही नोएल टाटा के पक्ष में हो, लेकिन आँकड़े उनके पक्ष में नहीं हैं। रतन टाटा के निधन के एक साल के भीतर ही टाटा समूह को 7.18 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रतन टाटा के कार्यकाल में समूह की कुल संपत्ति 33.57 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब एक साल के भीतर घटकर 26.39 लाख करोड़ रुपये रह गई है। इस भारी नुकसान का ठीकरा नोएल टाटा पर फोड़ा जा रहा है। इस वीडियो में, हम टाटा समूह के बोर्डरूम विवाद की पूरी कहानी बताते हैं। टाटा समूह के नेतृत्व में क्या विवाद है? दोनों गुट कौन हैं और वे क्या चाहते हैं? नोएल टाटा के फैसलों को लेकर क्या विवाद है? मेहली मिस्त्री का गुट क्या चाहता है? इसके अलावा, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विवाद में कैसे मध्यस्थता की कोशिश की है? और इस विवाद का देश और उसके सबसे बड़े कारोबारी घराने पर क्या असर पड़ेगा? इस वीडियो में जानिए सब कुछ।

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