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औरत vs आदमी… जुर्म किसका ज्यादा?

तस्वीर: इंडियन एक्सप्रेस/योगेश पाटिल

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महिलाओं द्वारा किए गए अपराधों को खूब चर्चा मिलती है - ऐसा नहीं है कि उन पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। लेकिन उन अपराधों की चर्चा उन अपराधों से कहीं ज़्यादा होती है जिनका सामना महिलाएँ अनादि काल से करती आ रही हैं। जहाँ एक ओर महिलाओं द्वारा किए गए अपराधों पर लोगों की नज़र रहती है और उनके ख़िलाफ़ फ़ैसलों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि होती है, वहीं महिलाओं के ख़िलाफ़ किए गए अपराधों को उतनी तवज्जो नहीं मिलती। दुख की बात है, क्योंकि ये 'सामान्य' हो गए हैं। एक पुरुष अपराधी तो अपराधी ही होता है, लेकिन इस श्रेणी में एक महिला अपराधी नहीं, बल्कि 'महिला अपराधी' बन जाती है। सिर्फ़ इसलिए कि जब कोई 'महिला' अपराध करती है, तो वह न सिर्फ़ सामाजिक मानदंडों या क़ानूनी मानदंडों को चुनौती देती है, बल्कि लैंगिक मानदंडों को भी चुनौती देती है! इस मुद्दे को बेहतर ढंग से समझने के लिए आज का वीडियो देखें।

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