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दिल्ली के रैन बसरों में क्यों नहीं जाते मजदूर?

तस्वीर: इंडियन एक्सप्रेस/योगेश पाटिल

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देश की राजधानी दिल्ली सर्दियों के मौसम में एक खास पर्यटन स्थल बन जाती है। यहाँ की ठंडी जलवायु लोगों को बहुत पसंद आती है। लेकिन यह आनंद सिर्फ उन्हीं के लिए होता है जिनके पास रहने के लिए घर, खाने के लिए भोजन और पहनने के लिए गरम कपड़े होते हैं। वहीं, यही सर्दी दिल्ली के गरीब और बेघर लोगों के लिए एक डरावनी रात में बदल जाती है। हमारी इस रिपोर्ट में देखिए कि मजदूर वर्ग के लोग किस तरह अपनी रातें बिताने को मजबूर होते हैं। कुछ लोग हर रात 50 रुपये देकर खाट किराए पर लेते हैं, जबकि कुछ सड़क किनारे सोने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं पाते। कुछ लोग रैन बसेरों में शरण लेते हैं, लेकिन वहां की बदहाल स्थिति और गुंडागर्दी से परेशान होकर फिर से फुटपाथ पर लौटने को मजबूर हो जाते हैं।

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