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गिग वर्कर्स की कहानी क्या है?

तस्वीर: इंडियन एक्सप्रेस/योगेश पाटिल

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डिलीवरी पार्टनर्स, जिन्हें गिग वर्कर्स कहा जाता है, के दम पर स्विगी, ज़ोमैटो, ओला, उबर जैसी कंपनियां तेजी से फल-फूल रही हैं। इसके बावजूद, सामान्य कर्मचारियों की तरह इन्हें सुविधाएं नहीं मिलतीं, जबकि ये उनसे अधिक टैक्स अदा करते हैं। छुट्टियों और पर्याप्त आराम के बिना, ये वर्कर्स कंपनी की समय-सीमा पूरी करने के लिए मजबूरन 10 मिनट में मीलों का सफर तय करते हैं। गिग वर्कर्स और कंपनियों के बीच "पार्टनर बनाम कर्मचारी" का अंतर क्या है? गिग वर्क की शुरूआत हुई कब हुई? भारत में गिग इकॉनमी कितनी बड़ी है? डिलीवरी पार्टनर बनाकर बड़ी-बड़ी कंपनियां इनका शोषण कैसे करती हैं? भारत में इनके लिए क्या व्यवस्था बनाई गई है? खबरगांव की इस वीडियो में इन सारे सवालों के जवाब जानिए शुभम विश्वकर्मा से. 

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