जाकिर हुसैन की पूरी कहानी
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• Dec 17 2024
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9 मार्च 1951 को मुंबई के माहिम इलाके में एक बच्चे का जन्म होता है. उसके पिता उस वक्त देश के सबसे बड़े तबलावदक थे. नाम था उस्ताद अल्लारखा कुरैशी. मुस्लिम परंपरा के मुताबिक बच्चे के कान में सबसे पहले कुरान की आयतें पढ़ी जानी थीं. लेकिन उस्ताद अपने बेटे को गोद में उठाकर उसके कान में तबले की ताल फूंक देते हैं. जब लोग सवाल करते हैं तो उस्ताद कहते हैं, तबले की ताल ही उनके लिए आयत है. जन्म के बाद कान में पड़ी ये तबले की ताल, इस बच्चे की दुनिया बन जाती है और आगे चलकर वो बच्चा पारंपरिक तबले की ताल और वेस्टर्न म्यूजिक का एसा जादूई फ्यूज़न क्रिएट करता है कि पूरी दुनिया उसकी मुरीद हो जाती है. उसका जादू ऐसा था कि लोग उसके शो के लिए लाखों रुपए की टिकट खरीदने को भी तैयार रहते थे. वो बच्चा कोई और नहीं, वो थे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तबला वादक उस्सताद ज़ाकिर हुसैन. जिन्होंने 15 दिसबंर की रात इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की उम्र 73 साल थी. उन्हें इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नाम की बीमारी थी.

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