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क्या है KMMTTP प्रोजेक्ट?

तस्वीर: इंडियन एक्सप्रेस/योगेश पाटिल

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मार्च 2025में बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस चीन जाते हैं। वहां वो नॉर्थ ईस्ट के सिलीगुड़ी कॉरिडोर को लेकर बयान देते हैं, जिसे चिकन नेक के नाम से जाना जाता है।जिससे बांग्लादेश और भारत के बीच तनाव बढ़ जाता है. यूनुस कहते हैं, "भारत का नॉर्थ ईस्ट ज़मीन से घिरा हुआ है। जमीन के रास्ते वहां पहुंचने का एकमात्र रास्ता सिलीगुड़ी कॉरिडोर है। जहां हम बैठे हैं। अगर उन्हें समुद्री रास्ता तलाशना है, तो उन्हें बांग्लादेश से होकर जाना होगा। ऐसे में चीन को बांग्लादेश में और निवेश करना चाहिए." यूनुस के इस बयान को भारत ने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में दखलंदाजी के तौर पर देखा. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे आपत्तिजनक बताया. और भारत सरकार ने बांग्लादेश को दी जाने वाली निर्यात सुविधाएं रद्द कर दीं. जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध जैसी स्थिति बन गई. भारत यहीं नहीं रुका. भारत ने 2008 से लंबित KMMTTP प्रोजेक्ट को फिर से शुरू कर दिया है... यानी कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद सिलीगुड़ी कॉरिडोर के अलावा नॉर्थ ईस्ट से कनेक्टिविटी के लिए एक और रास्ता खुल जाएगा। साथ ही म्यांमार से व्यापार के लिए भी एक रास्ता तैयार हो जाएगा। जिसमें बांग्लादेश की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही म्यांमार में चीन की बढ़ती दखलंदाजी को भी कम किया जा सकेगा। क्या है ये KMMTTP प्रोजेक्ट? इस प्रोजेक्ट के जरिए बांग्लादेश को नजरअंदाज करके भारत म्यांमार के जरिए एक नया ट्रांसपोर्ट रूट बनाने की तैयारी कैसे कर रहा है? और सबसे अहम बात... म्यांमार की स्थानीय राजनीति इस प्रोजेक्ट को कैसे प्रभावित करने वाली है?

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