हंगरी के एक अखबार ने अपने पाठकों से कहा कि वे शॉर्ट स्कर्ट पहनी महिलाओं की तस्वीरें भेजें। इसके बाद महिला अधिकारों के संगठनों ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और इसकी आलोचना की। हंगरी की न्यूज वेबसाइट 'टेलेक्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मेट्रोपोल’ नाम के अखबार ने 4 जून के अपने संपादन में कुछ ऐसी तस्वीरें भी छाप दीं, जिससे विवाद और बढ़ गया। अखबार में छपी इन तस्वीरों को देख कर लग रहा है कि इन तस्वीरों को उन लोगों की जानकारी या इजाजत के बिना खींचा गया हैं।
'फोटो लो और भेजो!'
यह तस्वीरें एक अखबार के कॉलम में छपीं, जिसका नाम है 'फोटो लो और भेजो!'- यह कॉलम पहले भी कई बार आलोचना झेल चुका है क्योंकि यह अकसर कमजोर या असुरक्षित लोगों को निशाना बनाता है। इस बार कॉलम में 'जितनी छोटी, उतनी अच्छी' जैसे भड़काऊ हेडलाइन के साथ स्कर्ट पहनी हुई महिलाओं की तस्वीरें पब्लिश की गईं, जिन्हें मेट्रो या सड़क पर बिना अनुमति के लिया गया था। इसके नीचे कैप्शन लिखा था कि यह बात फैशन पर लागू होती है कि कपड़े जितने छोटे हों, उतना अच्छा।
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भड़काऊ रिपोर्ट पर बवाल, लोगों का विरोध
हंगरी की एक मैगजीन में छपी विवादित रिपोर्ट के खिलाफ बुधवार को करीब 50-60 लोग सड़कों पर उतर आए। ये लोग उस मीडिया हाउस के बाहर इकट्ठा हुए जिसने यह रिपोर्ट छापी थी। प्रदर्शनकारियों ने 'पत्रकारिता का मतलब उत्पीड़न नहीं है' और 'मेरा शरीर कोई ऑब्जेक्ट नहीं है' जैसे नारे लगाकर अपना गुस्सा जताया।
प्रदर्शन करने वालों में से कुछ ने उस अखबार से सार्वजनिक माफी की मांग की, जो सरकार के करीब माना जाता है। इस विवाद पर सोशल मीडिया पर भी काफी गुस्सा देखने को मिला। रेडिट पर एक यूजर ने सवाल उठाया, 'क्या यह खबर पुरुष पाठकों को उत्तेजित करने के लिए थी या महिलाओं को शर्मिंदा करने के लिए? या दोनों?'
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यूजर्स ने दिए अपने रिएक्शन
एक अन्य ने कहा, 'यह तो साफ तौर पर महिलाओं को निशाना बनाकर किया गया सरकारी उत्पीड़न है।' एक यूजर ने लिखा, 'ये पुराने सोच वाले लोग चाहते हैं कि औरतें घर में रहें, सादे कपड़े पहनें और बस काम करती रहें। इस तरह की हरकतों का मकसद औरतों को कंट्रोल करना है।'