बोट कंपनी की आईपीओ लाने की यानी कि शेयर बाजार में लिस्टिंग की तैयारी मुश्किल में फंस गई है। मार्केट एक्सपर्ट जयंत मुंध्रा ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट लिखकर कंपनी के अंदर बड़ी समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया है। उन्होंने बोट के नए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) के आधार पर कई गंभीर बातें बताईं।
बोट के दोनों सह-संस्थापक समीर अशोक मेहता और अमन गुप्ता ने आईपीओ फाइल करने से सिर्फ 29 दिन पहले अपना पद छोड़ दिया है। मेहता ने सीईओ का पद छोड़ा, जबकि गुप्ता ने चीफ मार्केटिंग ऑफिसर की कुर्सी छोड़ दी। मुंध्रा के मुताबिक दोनों ने बोर्ड के लेवल पहुंचने के बाद सैलरी लेना या कोई भी सिटिंग फीस लेना बंद कर दिया जबकि 2025 तक वे 2.5-2.5 करोड़ रुपये सैलरी लेते थे।
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सोची-समझी चाल बताई
मार्केट एनालिस्ट जयंत मुंध्रा ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में इस कदम को एक ‘Calculated Pre-IPO Move’ बताया है। उनके अनुसार, यह कोई साधारण ‘सक्सेशन प्लान’ नहीं, बल्कि IPO से पहले की एक रणनीतिक तैयारी है, जिससे फाउंडर्स की जवाबदेही लिस्टिंग के बाद सीमित रह सके। उन्होंने लिखा कि “फाउंडर्स ने अपनी जिम्मेदारियाँ छोड़ तो दीं, लेकिन बोर्ड में बने रहकर उन्होंने अपनी मौजूदगी बनाए रखी है — यह संभावित निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन सकता है।”कंपनी में कर्मचारियों के छोड़ने का आंकड़ा भी डराने वाला है। वित्त वर्ष 2025 में फुल टाइम कर्मचारियों में से 34.18% लोग नौकरी छोड़कर चले गए। यह संख्या पिछले दो सालों - 2023 में 27.09% और 2024 में 28.14% - से ज्यादा है। मुनाफे के बावजूद इतने सारे लोग कंपनी छोड़ रहे हैं, इसे मुंध्रा ने ‘जाने वालों की बड़ी संख्या’ बताया। उन्होंने कहा कि कंपनी का अंदरूनी माहौल पूरी तरह बिखर चुका है।
काफी कर्मचारी छोड़ चुके
बोट ने कर्मचारियों को बहुत सारे ईएसओपी (कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन) दिए थे, लेकिन वे भी लोगों को रोक नहीं पाए। इसका मतलब या तो कर्मचारी पैसे के बावजूद दुखी हैं, या उन्हें कंपनी के भविष्य पर भरोसा नहीं है। वित्तीय मोर्चे पर कंपनी ने पिछले साल 80 करोड़ का घाटा दिखाया था, जो इस साल 60 करोड़ से ज्यादा के मुनाफे में बदल गया। यह मुनाफा नए प्रोडक्ट और खर्च नियंत्रण से आया। लेकिन कुल कमाई थोड़ी कम होकर 3,098 करोड़ रुपये रह गई, जो पिछले साल 3,122 करोड़ थी।
कई सवालिया निशान
IPO से ठीक पहले फाउंडर्स का ऑपरेशनल जिम्मेदारियों से हटना कई सवाल खड़े करता है। अब कंपनी की कमान CEO के रूप में COO गौरव नायर को सौंपी गई है, जबकि अमन और समीर केवल बोर्ड में सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं। मार्केट विशेषज्ञों के मुताबिक, IPO से पहले इस तरह का बड़ा लीडरशिप बदलाव बेहद असामान्य है। यह संकेत देता है कि या तो कंपनी के भीतर मतभेद मौजूद हैं, या फाउंडर्स को भविष्य में आने वाली संभावित चुनौतियों का अंदेशा है।
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घटाया IPO का आकार
पिछले महीने बोट ने अपने आईपीओ का आकार भी घटा दिया। पहले 2,000 करोड़ जुटाने का प्लान था, अब 1,500 करोड़ रुपये जुटाएगी। इसमें 500 करोड़ के नए शेयर के जरिए और 1,000 करोड़ ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) यानी कि पुराने इन्वेस्टर्स के शेयर की बिक्री के जरिए जुटाई जाएगी।
कुल मिलाकर जयंत मुंध्रा ने इसे इन्वेस्टर्स के लिए रेड फ्लैग करार दिया। संस्थापकों का पीछे हटना, कर्मचारियों का भारी पलायन और ईएसओपी का असफल होना – ये सब कंपनी के अंदर गहरी संकट की निशानी हैं। निवेशकों को सावधान रहना चाहिए।
