बिहार के सारण जिले की गड़खा विधानसभा अनसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है। सारण में आने वाला यह क्षेत्र राजधानी पटना और भोजपुर की सीमा पर मौजूद है। रोचक बात है यह विधानसभा क्षेत्र भले ही आरक्षित है लेकिन यहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या 15 पर्सेंट से भी कम है। शुरुआत में यह सीट सामान्य श्रेणी की ही थी लेकिन 1967 में इसे आरक्षित कर दिया गया। 2024 में भले ही राजीव प्रताप रूडी सारण से लोकसभा का चुनाव जीत गए थे लेकिन वह गड़खा में रोहिणी आचार्य से पीछे थे। यही वजह है कि सत्ताधारी एनडीए यहां के लिए खास रणनीति बनाने में जुटा हुआ है।
गड़खा क्षेत्र की बात करें तो यहां के स्थानीय लोग डेयरी का के काम के साथ-साथ खेती भी खूब करते हैं। गेहूं और धान की फसलें यहां के लोगों के लिए भोजन के साथ-साथ कमाई का भी साधन हैं। बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी लोगों को पटना या छपरा का मुंह देखना पड़ता है। यही वजह है कि कई इलाकों के लोग स्थानीय विधायक का विरोध भी करते हैं। कई तो ऐसे भी हैं जो राष्ट्रीय जनता दल के ही समर्थक हैं लेकिन उनकी मांग है कि इस बार मौजूदा विधायक सुरेंद्र राम को टिकट न दिया जाए।
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मौजूदा समीकरण
यह एक ऐसी सीट है जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) दोनों हो दावेदारी पेश कर रही हैं। जेडीयू के पास 5 बार के पूर्व विधायक मुनेश्वर चौधरी हैं तो बीजेपी के पास 2 बार के पूर्व विधायक ज्ञानचंद माझी हैं। हालांकि, पिछले दो चुनावों में अपना हश्र देखते हुए एनडीए यहां किसी तीसरे उम्मीदवार को भी मौका दे सकता है। वहीं, आरजेडी के सुरेंद्र राम मौजूदा विधायक होने के साथ प्रमुख दावेदार भी हैं। चुनाव से एलान से पहले वह अपनी ओर से कराए गए कामों को लेकर जनता के बीच हैं और सोशल मीडिया पर भी इन कामों की जानकारी देते रहते हैं।
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पहली बार चुनाव में उतर रही जन सुराज के कई उम्मीदवार भी यहां से अपनी किस्मत आजमाने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। मौजूदा विधायक राजेंद्र राम को लेकर काफी नाराजगी भी बताई जाती है, ऐसे में आरजेडी भी उन्हें बदलने को लेकर विचार कर सकती है। यही वजह है कि आरजेडी के ही रामलाल राम जैसे नेता भी क्षेत्र में खूब सक्रिय हैं और खुद को भावी उम्मीदवार बताकर जनसंपर्क भी कर रहे हैं। दूसरी तरफ, पूर्व विधायक और कांग्रेस के पुराने नेता रघुनंदन माझी भी क्षेत्र में खूब सक्रिय हैं।
2020 में क्या हुआ?
5 बार के विधायक रहे मुनेश्वर चौधरी ने 2015 में आरजेडी के टिकट पर ही जीत हासिल की थी। इससे पहले, वह जनता पार्टी, जनता दल और आरजेडी के ही टिकट पर जीत चुके थे। 2020 में आरजेडी ने उनका टिकट काट दिया और सुरेंद्र राम को चुनाव में उतार दिया। मुनेश्वर चौधरी मौजूदा विधायक थे तो उन्हें तो चुनाव लड़ना ही था। ऐसे में उन्हें तब पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (JAP) का सहारा मिला और वह उसी पार्टी के बैनर तके चुनाव में उतर गए। इन दोनों के अलावा तीसरे उम्मीदवार थे बीजेपी के ज्ञानचंद माझी।
वही, ज्ञानचंद माझी जो 2015 में मुनेश्वर चौधरी से चुनाव हार गए थे। ज्ञानचंद माझी भी यहां से 2 बार बीजेपी के ही टिकट पर चुनाव जीत चुके थे। उन्हें उम्मीद थी कि 2015 में रह गई कसर वह इस बार पूरी कर पाएंगे। उन्हों खूब कोशिश भी की लेकिन 10 हजार वोट का अंतर इस बार भी रह गया। आरजेडी के सुरेंद्र राम को 83,412 वोट मिले और ज्ञानचंद माझी को 73,475 वोट मिले। वहीं, मुनेश्वर चौधरी को सिर्फ 4419 वोट ही मिले। फिलहाल, मुनेश्वर चौधरी जेडीयू में पहुंच गए हैं।
विधायक का परिचय
साल 2020 में पहली बार गड़खा विधानसभा सीट से जीते सुरेंद्र राम बिहार की सरकार में श्रम मंत्री रह चुके हैं। आरजेडी के संगठन में उनकी अहमियत की बात करें तो अब वह पार्टी के राष्ट्रीय सचिव बन चुके हैं। सुरेंद्र राम ही वह नेता हैं जो कभी चारा मशीन से चारा काटते दिखते हैं तो कभी हाथ में गंडासा लेकर चारा काटने लगते हैं।
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ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई कर चुके सुरेंद्र राम सारण जिले के दिघवारा प्रखंड के चकनूर सैदपुर के रहने वाले हैं। साल 2001 में नगर पंचायत दिघवारा के वार्ड नंबर 5 से पार्षद चुने गए सुरेंद्र राम नगर पालिका के उपाध्यक्ष बने। बाद में वह नगर पालिका अध्यक्ष भी बने। बताया जाता है कि राजनीति में आने से पहले सुरेंद्र राम राज मिस्त्री का काम किया करते थे। अपने जीवन के बारे में खुद सुरेंद्र राम बताते हैं कि जब वह खेत में कुदाल लेकर काम कर रहे थे, तभी उन्हें देखने कुछ लोग आए और वहीं पर शादी तय हो गई।
विधानसभा का इतिहास
इस विधानसभा क्षेत्र से रघुनंदन माझी कुल 4 बार, मुनेश्वर चौधरी 5 बार और ज्ञानचंद माझी 2 बार विधायक बन चुके हैं। रोचक बात है कि रघुनंदन माझी 3 बार कांग्रेस से तो एक बार निर्दलीय विधायक बने हैं। मुनेश्वर चौधरी एक बार निर्दलीय, दो बार आरजेडी से और एक-एक बार जनता पार्टी और जनता दल के टिकट पर जीते हैं। पहली बार यहां से राम जयपाल सिंह यादव चुनाव जीते थे और आगे चलकर बिहार के डिप्टी सीएम भी बने थे।
1957- राम जयपाल सिंह यादव-प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1962-शिवशंकर प्रसाद सिंह- कांग्रेस
1967-विश्वनाथ भगत-निर्दलीय
1969- जगलाल चौधरी-कांग्रेस
1972-रघुनंदन माझी-कांग्रेस
1977-मुनेश्वर चौधरी- जनता पार्टी
1980-रघुनंदन माझी-कांग्रेस
1985-रघुनंदन माझी-कांग्रेस
1990-मुनेश्वर चौधरी-निर्दलीय
1995-मुनेश्वर चौधरी-जनता दल
2000-मुनेश्वर चौधरी-RJD
2005-रघुनंदन माझी-निर्दलीय
2005-ज्ञानचंद माझी-BJP
2010-ज्ञानचंद माझी-BJP
2015-मुनेश्वर चौधरी-RJD
2020-सुरेंद्र राम-RJD
