बिहार के नालंदा जिले में पड़ने वाली राजगीर विधानसभा अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है। यह सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं। सबसे ज्यादा 7 बार बीजेपी ने यहां से चुनाव जीता था। बीजेपी से पहले जब जनसंघ हुआ करती थी, उसने भी यहां से दो बार चुनाव जीता है। इस सीट पर दो बार वामपंथियों ने भी जीत हासिल की है।
राजगीर विधानसभा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ता है। माना जाता है कि राजगीर महाभारत के राजा जरासंध का साम्राज्य हुआ करता था। मान्यता के अनुसार, भीम ने जरासंध के साथ कुश्ती लड़ी थी और उसके शरीर को दो हिस्सों में चीर दिया था।
माना जाता है कि बिंबिसार और उनके बेटे अजातशत्रु ने राजगीर को मगध साम्राज्य की राजधानी बनाया था। और तो और यह भी माना जाता है कि गौतम बुद्ध और भगवान महावीर ने भी अपना लंबा समय राजगीर में बिताया था। राजगीर में 30 साल से बीजेपी या जेडीयू का ही कब्जा रहा है।
मौजूदा समीकरण
राजगीर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां दलितों के साथ-साथ पिछड़ा वर्ग भी निर्णायक भूमिका में है। वैसे तो बीजेपी को सवर्णों की पार्टी माना जाता है लेकिन राजगीर सीट के नतीजे इस भ्रम को भी तोड़ती है। राजगीर में 1995 के बाद से अब तक जितने चुनाव हुए हैं, सबमें बीजेपी या जेडीयू ही जीती है। 2020 में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। यह सीट जेडीयू के खाते में आई थी। राजगीर सीट में पिछले नतीजे बीजेपी और जेडीयू के हक में ही रहे हैं। ऐसे में इस बार फिर यह सीट बीजेपी के खाते में जाने की उम्मीद ज्यादा है।
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2020 में क्या हुआ था?
पिछले चुनाव में जेडीयू के कौशल किशोर ने 16 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। कौशल किशोर को 67,191 और कांग्रेस के रवि ज्योति कुमार को 51,143 वोट मिले थे। एलजेपी की मंजू देवी को मंजू देवी को 11,174 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
राजगीर सीट से मौजूदा विधायक कौशल किशोर हैं। कौशल किशोर का ताल्लुक राजनीतिक परिवार से है। उनके पिता सत्यदेव नारायण आर्य भी राजगीर सीट से 8 बार विधायक रह चुके हैं। सत्यदेव नारायण त्रिपुरा और हरियाणा के राज्यपाल भी रहे हैं।
कौशल किशोर पेश से वकील हैं और उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। कौशल किशोर की छवि ईमानदार नेता की रही है।
2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में कौशल किशोर ने अपने पास 1.72 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ एक भी क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है।
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विधानसभा का इतिहास
इस सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं। सबसे ज्यादा बार बीजेपी ने ही यहां से जीत हासिल की है। 1957 से अब तक कांग्रेस यहां सिर्फ दो बार ही जीत पाई है।
- 1957: बलदेव प्रसाद (कांग्रेस)
- 1962: बलदेव प्रसाद (कांग्रेस)
- 1967: जगदीश प्रसाद (जनसंघ)
- 1969: यदुनंदन प्रसाद (जनसंघ)
- 1972: चंद्रदेव प्रसाद हिमांशु (सीपीआई)
- 1977: सत्यदेव नारायण आर्य (जनता पार्टी)
- 1980: सत्यदेव नारायण आर्य (बीजेपी)
- 1985: सत्यदेव नारायण आर्य (बीजेपी)
- 1990: चंद्रदेव प्रसाद हिमांशु (सीपीआई)
- 1995: सत्यदेव नारायण आर्य (बीजेपी)
- 2000: सत्यदेव नारायण आर्य (बीजेपी)
- 2005: सत्यदेव नारायण आर्य (बीजेपी)
- 2005: सत्यदेव नारायण आर्य (बीजेपी)
- 2010: सत्यदेव नारायण आर्य (बीजेपी)
- 2015: रवि ज्योति कुमार (जेडीयू)
- 2020: कौशल किशोर (जेडीयू)