बिहार का जगदीशपुर क्षेत्र ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह इलाका बिहार के भोजपुर जिले में स्थित है और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अमर शहीद वीर कुंवर सिंह की कर्मभूमि रहा है। जगदीशपुर को वीरों की धरती कहा जाता है क्योंकि यहां से अंग्रेज़ों के खिलाफ़ पहली संगठित बगावत का बिगुल फूंका गया था।
इतिहास के पन्नों में जगदीशपुर का नाम स्वाधीनता आंदोलन की बहादुरी और त्याग के लिए दर्ज है। यह इलाका आज भी बिहार की राजनीति और सामाजिक गतिविधियों का अहम केंद्र है। खेती-बाड़ी यहां की प्रमुख आजीविका है और गेहूं, धान, दलहन जैसी फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। जगदीशपुर विधानसभा सीट की स्थापना 1952 में हुई थी और इसमें भोजपुर जिले के कई प्रखंड और गांव शामिल हैं।
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मौजूदा राजनीतिक समीकरण
जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र आरा लोकसभा के अंतर्गत आता है। इसमें जगदीशपुर, बिहिया और शाहपुर ब्लॉक शामिल हैं. इस सीट पर कांग्रेस अब तक चार बार जीत चुकी है और आरजेडी व जेडीयू ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है। इसके अलावा दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने और एक-एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल, इंडियन पीपुल्स फ्रंट और जनता दल ने जीत दर्ज की। इसके बाद यह लालू और नीतीश के बीच भी द्वंद्व का मैदान बना और जेडीयू ने तीन बार जीत हासिल की।
2010 के बाद से इस सीट पर जेडीयू और आरजेडी के बीच सीधी टक्कर ज्यादा देखने को मिली है। पिछली कुछ चुनावी लड़ाइयों में वोटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहा है, जिससे यह सीट राजनीतिक रूप से हमेशा हॉटस्पॉट बनी रहती है।
2020 की स्थिति
पिछले विधानसभा में इस सीट पर आरजेडी के राम विशुन सिंह ने जीत दर्ज की। उन्हें कुल 66,632 वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 39.7% था। दूसरे स्थान पर श्रीभगवान सिंह कुशवाहा थे जिन्हें 44,525 मिले थे। इस तरह से दोनों के बीच वोट का अंतर 13.2 % था।
2020 में जगदीशपुर क्षेत्र में 14.99% अनुसूचित जाति और 5.4% मुस्लिम मतदाता थे। यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां केवल 7.82% शहरी मतदाता हैं। पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 2020 में 3,08,746 थी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,13,785 हो गई।
विधायक का परिचय
रामविशुन सिंह लोहिया, जगदीशपुर विधानसभा सीट से आरजेडी के विधायक हैं। वे क्षेत्रीय राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित माने जाते हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई स्नातक स्तर तक की है। उनका राजनीतिक फोकस मुख्य रूप से किसानों की समस्याओं, सड़क और बिजली जैसी आधारभूत सुविधाओं और युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाओं को लेकर रहा है।
शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अपनी पढ़ाई स्नातक स्तर तक पूरी की है। पढ़ाई के दौरान ही वे छात्र राजनीति और सामाजिक आंदोलनों से जुड़ गए थे, जिसने उनके राजनीतिक करियर की नींव रखी।
उनकी राजनीतिक विरासत भी मजबूत रही है। परिवार का जुड़ाव किसान आंदोलनों और समाजवादी विचारधारा से रहा है, जिससे उन्हें क्षेत्रीय राजनीति में पहचान बनाने में मदद मिली।
चुनाव आयोग को दिए शपथपत्र के अनुसार, राम विशुन सिंह लोहिया के पास लगभग 5 करोड़ रुपये से अधिक की चल-अचल संपत्ति है। इसमें कृषि भूमि और अन्य अचल संपत्तियां प्रमुख हैं। क्रिमिनल हिस्ट्री के लिहाज से उनकी छवि अपेक्षाकृत साफ-सुथरी है। उनके खिलाफ़ कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
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विधानसभा का इतिहास
1952- सुमित्रा देवी (कांग्रेस)
1962- सुकर राम (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
1967- एसपी राय (कांग्रेस)
1969- सत्य नारायण सिंह (कांग्रेस)
1972- शिव पूजन वर्मा (कांग्रेस)
1977- सत्य नारायण सिंह (निर्दलीय)
1980- बीर बहादुर सिंह (निर्दलीय)
1985- हरि नारायण सिंह (लोकदल)
1990- श्री भगवान सिंह कुशवाहा (इंडियन पीपल्स फ्रंट)
1995- हरि नारायण सिंह (जनता दल)
2000- श्री भगवान सिंह कुश्ववाहा (समता पार्टी)
2005 (फरवरी) - श्री भगवान सिंह कुश्ववाहा (जेडीयू)
2005 (अक्तूबर) - श्री भगवान सिंह कुश्ववाहा (जेडीयू)
2010- दिनेश कुमार यादव (आरजेडी)
2015- राम विशुन यादव (आरजेडी)
2020- राम विशुन यादव (आरजेडी)
