बिहार और झारखंड की सीमा पर बसे इस जिले में प्रदेश के आखिरी चार विधानसभा क्षेत्र यानी विधानसभा संख्या 240 (सिकंदरा), 241 (जमुई), 242 (झाझा) और 243 (चकाई) आते हैं। किुउल नदी लखीसराय से बहकर आती है और चकाई जिले को लगभग दो बराबर हिस्सों में बांट देती है। जमुई हिल रेंज और सिमुलतल्ला हिल स्टेशन जैसी जगहें यह दिखाती हैं कि यह जिला पहाड़ों से भरा हुआ है। नागी और नकटी डैम पर बर्ड सैंक्चरी भी स्थित है जो इस जिले को प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण बनाती है। कभी नक्सल प्रभावित रहा यह जिला अब शांत बताया जाता है। 

 

जमुई को पहले जंभिकाग्राम कहा जाता था। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर यानी भगवान महावीर ने यहां पर ज्ञान प्राप्त किया था। एक प्राचीन कॉपर प्लेट पर जंभुबनी नाम भी लिखा मिला है। इस प्लेट को पटना के म्यूजियम में रखा गया है। ये नाम दिखाते हैं कि जमुई जिला प्राचीन समय में जैन धर्म के प्रमुख केंद्रों में रहा है। बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिन्हा भी इसी जिले से आते थे। उनके अलावा पूर्व सीएम चंद्रशेखर सिंह, त्रिपुरारी सिंह, शुक्रदास यादव, श्यामा प्रसाद सिंह, गिरधर नारायण सिंह, कालिका प्रसाद सिंह और दुखहरण प्रसाद जैसी शख्सियतों की वजह से भी इस जिले को जाना जाता है।

 

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जिले के चार विधानसभा क्षेत्र जमुई लोकसभा क्षेत्र में आते हैं। जमुई लोकसभा क्षेत्र में इन चारों के अलावा तारापुर और शेखपुर विधानसभा क्षेत्र भी आते हैं। वही, तारापुर जहां से इस बार डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। जमुई लोकसभा क्षेत्र में पिछले 4 चुनाव से एनडीए को ही जीत हासिल हुई है। 2014 और 2019 में खुद चिराग पासवान यहां से चुनाव जीते और 2024 में उन्होंने अपने बहनोई अरुण भारती को उतारा और वह भी यहां से जीत गए। मौजूदा स्थिति की बात करें तो 2020 में सिर्फ एक सीट पर निर्दलीय को जीत मिली थी। हालांकि, उन निर्दलीय सुमित सिंह को मंत्री बनाकर अब जनता दल (यूनाइटेड) ने उन्हें अपने पाले में कर लिया है। 

राजनीतिक समीकरण

 

मौजूदा स्थिति के हिसाब से देखें तो यहां महागठबंधन को बहुत पसीना बहाना होगा। चिराग पासवान खुद यहां से सांसद रहे हैं, सुमित सिंह अभी मंत्री हैं, श्रेयसी सिंह इसी क्षेत्र से विधायक हैं और प्रफुल्ल कुमार मांझी तो जीतन राम मांझी के दामाद हैं। यानी जिला भले छोटा हो, यहां के चेहरे बहुत बड़े-बड़े हैं। झाझा के विधायक दामोदर रावत भी कद्दावर नेता रहे हैं तो यहां की किसी भी सीट पर एनडीए को पटखनी देना महागठबंधन के लिए चुनौती भरा होने वाला है। तिस पर एक समस्या और है कि सिकंदरा सीट पर कांग्रेस और आरजेडी में सहमति नहीं बनी और दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं।

 

विधानसभा सीटें

 

सिकंदरा- इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव में HAM के प्रफुल्ल कुमार मांझी ने जीत हासिल की थी। उससे पहले 5 साल तक कांग्रेस के सुधीर कुमार विधायक थे। इस बार HAM ने फिर से प्रफुल्ल कुमार मांझी को ही टिकट दिया है लेकिन कांग्रेस और आरजेडी ने भी अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। कांग्रेस ने विनोद कुमार चौधरी और आरजेडी ने उदय नारायण चौधरी को टिकट दिया है।

 

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जमुई- शूटिंग की दुनिया से राजनीति में उतरी श्रेयसी सिंह ने 2020 के चुनाव में यह सीट बीजेपी के लिए जीत ली थी। बीजेपी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। वहीं, आरजेडी ने इस बार शमशाद आलम को टिकट दिया है। वहीं, जन सुराज ने अनिल प्रसाद साह को अपना उम्मीदवार बनाया है।

 

झाझा- झाझा में महागठबंधन को साल 2000 से लेकर अब तक कभी भी कामयाबी नहीं मिली है। मौजूदा विधायक दामोदर रावत यहां से लगातार 4 बार चुनाव जीते थे,  2015 वह बीजेपी के रवींद्र यादव से हार गए थे लेकिन 2020 में फिर से चुनाव जीत गए। जेडीयू ने एक बार फिर दामोदर रावत को ही उतारा है। वहीं, आरजेडी ने उम्मीदवार बदलते हुए जय प्रकाश नारायण यादव को उतारा है। पूर्व विधायक रवींद्र यादव इस बार निर्दलीय उतर गए हैं।

 

चकाई- चकाई विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में सुमित सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल कर ली थी। बाद में उन्हें बिहार सरकार में मंत्री भी बनाया गया। इस बार वह जेडीयू के टिकट पर मैदान में हैं। वहीं, आरजेडी ने पूर्व विधायक सावित्री देवी पर एक बार फिर से भरोसा जताया है। पिछली बार वह सिर्फ 1902 वोटों से चुनाव हार गई थीं। पिछली बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े संजय प्रसाद इस बार निर्दलीय ही चुनाव में उतर गए हैं।

जिले का प्रोफाइल

 

इस छोटे से जिले की आबादी लगभग 18 लाख है। कुल 3122 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जिले में एक सब डिवीजन, 10 ब्लॉक, 152 पंचायत और 1528 गांव हैं। ये 1528 गांव कुल 10 तहसील यानी अंचल में कवर होते हैं।


विधानसभा सीट-4
HAM-1
BJP-1
JDU-1
निर्दलीय-1