बिहार की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में से एक महुआ इस बार भी आकर्षण का केंद्र रहने वाली है। 2020 में इस सीट को छोड़ने वाले तेज प्रताप यादव ने एक बार फिर से इसी सीट से चुनाव लड़ने का एलान करके मामले को रोचक बन दिया है। बुद्ध और महावीर की धरती कहे जाने वाले वैशाली की यह विधानसभा सीट लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के मुफीद रही है।
वैशाली जिले की यह विधानसभा सीट मुजफ्फरपुर जिले की सीमा से लगी हुई है। यह क्षेत्र वैशाली, महनार, राजा पाकड़ और पातेपुर जैसे विधानसभा क्षेत्रों से सटी हुई है। क्षेत्र में जाम की समस्या ऐसी है कि खुद विधायक मुकेश रौशन ने यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया था और बाईपास बनाने की मांग की थी। महुआ में मुस्लिम और यादव मिलकर लगभग एक तिहाई से ज्यादा हो जाते हैं। यही वजह भी है कि आरजेडी लगातार यहां से जीतती आ रही है। अनुसूचित जाति के मतदाता यहां 20 प्रतिशत से ज्यादा हैं, ऐसे में अगर त्रिकोणीय लड़ाई हुई और एनडीए की ओर से अनुसूचित जाति को उम्मीदवार उतरता है तो नतीजे कुछ भी हो सकते हैं।
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मौजूदा समीकरण
आरजेडी से निकाले जाने के बाद तेज प्रताप यादव पूरी तरह से बगावत के मूड में हैं। अब वह अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल के बैनर तले प्रचार कर रहे हैं। तेज प्रताप ने एलान भी किया है कि वह इस बार महुआ से ही चुनाव लड़ेंगे। तेज प्रताप के इस एलान के बाद मुकेश रौशन का एक वीडियो भी आया था जिसमें वह फूट-फूटकर रो रहे थे। दूसरी तरफ चर्चा है कि एक बार फिर यह सीट जेडीयू के ही खाते में रह सकती है।
जेडीयू नेता जागेश्वर राय के अलावा 2020 में चुनाव लड़ने वाली आशमा परवीन भी जेडीयू में सक्रिय हैं और लगातार जनसंपर्क कर रही हैं। जेडीयू से ही अशफाक करीम भी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। जन सुराज में इस सीट से चुनाव लड़ने के कई दावेदार हैं। डॉ. सुमन सिन्हा और इंद्रजीत प्रधान समेत कई अन्य नेता भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। AIMIM से जसीम उल हक जैसे युवा नेता भी लगातार जनसंपर्क में जुटे हैं और पूरी उम्मीद है कि वह इस सीट से चुनाव लड़ेंगे।
2020 में क्या हुआ था?
आरजेडी ने महुआ के तत्कालीन विधायक तेज प्रताप यादव की सीट बदल दी थी। उन्हें हसनपुर विधानसभा सीट से उतारा गया था। अपनी इस मजबूत विधानसभा सीट पर आरजेडी ने मुकेश कुमार रौशन को चुनाव में उतारा था। वहीं, यह जेडीयू ने इस सीट से आशमा परवीन को टिकट दिया था। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने यहां से संजय कुमार सिंह को टिकट देकर मामले को और रोचक बना दिया था।
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हालांकि, एलजेपी के चुनाव में उतरने से जेडीयू का ही नुकसान हो गया। आरजेडी के मुकेश कुमार रौशन को 62,747 वोट मिले, जेडीयू उम्मीदवार आशमा परवीन को 58,977 और एलजेपी के संजय कुमार सिंह को 25,198 वोट मिले। इस तरह तेज प्रताप के न लड़ने के बावजूद आरजेडी ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा।
विधायक का परिचय
मुकेश कुमार रौशन उर्फ मुकेश यादव 2020 में तब चर्चा में आए जब उन्हें तेज प्रताप यादव की जगह पर महुआ से टिकट दिया गया। पेशे से डेंटल सर्जन मुकेश कुमार रौशन युवा और पढ़े-लिखे नेताओं में गिने जाते हैं। 2020 के चुनाव में उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में बताया था कि उनकी कुल संपत्ति 9.59 करोड़ है। उनके खिलाफ तब कुल 4 मुकदमे चल रहे थे। तेज प्रताप यादव के एलान पर मुकेश रौशन ने कह दिया था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह क्लीनिक चलाएंगे। हालांकि, अभी लालू परिवार ने कुछ स्पष्ट नहीं किया है कि इस सीट पर आरजेडी अपना उम्मीदवार उतारेगी या नहीं।
आरजेडी के प्रदेश महासचिव मुकेश कुमार रौशन के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें किसी दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसी साल सितंबर के महीने में जब पीएम मोदी की मां को गाली देने का मामला सामने आया तब भी मुकेश कुमार रौशन चर्चा में आए थे। इस केस में तेजस्वी यादव के साथ-साथ मुकेश रौशन के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।
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विधानसभा का इतिहास
यह विधानसभा सीट 1967 से 1977 के बीच खत्म कर दी गई थी। उससे पहले यहां कांग्रेस का परचम बुलंद रहा था। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई और तब से जनता दल, लोकदल, आरजेडी और जेडीयू ने ही यहां से जीत हासिल की है।
1952-वीरचंद पटेल-कांग्रेस
फुड़ेनी प्रसाद-सोशलिस्ट पार्टी
1957- बिंदेश्वरी प्रसाद वर्मा-कांग्रेस
शिवनंदन राम-कांग्रेस
1962- मीरा देवी-कांग्रेस
1977-फुड़ेनी प्रसाद-जनता पार्टी
1980-दसई चौधरी-जनता पार्टी
1985-दसई चौधरी- लोकदल
1990-मुंसीलाल पासवान-जनता दल
1995-मुंसीलाल पासवान-जनता दल
2000-दसई चौधरी-आरजेडी
2005-शिवचंद्र राम-आरजेडी
2005-शिवचंद्र राम- आरजेडी
2010-रवींद्र राय-जेडीयू
2015-तेज प्रताप यादव-आरजेडी
2020-मुकेश कुमार रौशन-आरजेडी
