इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्युनल (बांग्लादेश) ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ एक मामले में अपना फैसला सुनाया है। ICT ने कहा है बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलनों के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध हुए, निहत्थे लोगों पर गोलीबारी की गई। कोर्ट ने उन्हें दोषी माना है और मौत की सजा सुनाई है। तत्कालीन गृह मंत्री सदुज्जमान खान कमाल को भी मौत की सजा दी गई है। पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी 5 साल की सजा मिली है।

शेख हसीना के साथ-साथ शेख हसीना सरकार में गृह मंत्री रहे असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ भी ट्रिब्युनल कोर्ट ने तल्ख टिप्पणियां की हैं। पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून, ICT के सामने पेश पेश हुए। शेख हसीना और कमाल देश से बाहर हैं। शेख हसीना, भारत में शरणार्थी हैं। सरकारी वकील तीनों के लिए मौत की सजा मांग रहे थे।

जैसे ही शेख हसीना को सजा सुनाई गई, इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्युनल के बाहर खड़े लोग ताली बजाने लगे। अदालत में भी तालियां गूंजीं। जश्न मनाने वालों में स्टूडेंट प्रोटेस्ट के प्रदर्शनकारी शामिल हैं। तीनों लोगों के खिलाफ आपराधिक तौर पर 5 आरोप पत्र दायर किए गए थे। 

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कोर्ट ने किन आरोपों को सही माना है?

  • भड़काऊ भाषण, हिंसा: ढाका ट्रिब्युन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 14 जुलाई 2024 को 'गणभवन' में प्रेस कॉन्फ्रेंस में भड़काऊ बयान दिए। इसके बाद पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने छात्रों-नागरिकों पर सुनियोजित हमले किए। शेख हसीना, कमाल और मामुन पर हमलों को भड़काने, समर्थन देने और रोकने में असफल रहने का दोषी कोर्ट ने माना है।

  • हिंसक कार्ररवाई के आदेश: रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनों को दबाने के लिए हेलीकॉप्टर, ड्रोन और गोली चलाने का आदेश शेख हसीना ने दिया। तत्कालीन गृह मंत्री और पुलिस चीफ ने इन आदेशों को लागू करवाया। कोर्ट ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध माना।

  • रंगपुर में अबु सईद की हत्या: ट्रिब्युनल ने कहा कि 16 जुलाई 2024 को बेगम रोकेला विश्वविद्यालय के सामने अबु सईद को गोली मारकर हत्या की गई। यह हत्या शेख हसीना के निर्देश पर हुई, इसलिए तीनों आरोपी जिम्मेदार हैं।

  • चांखरपुल में 6 छात्रों की हत्या: 5 अगस्त 2024 को ढाका के चांखरपुल में पुलिस कार्रवाई में 6 छात्र मारे गए। इस ऑपरेशन के लिए भी शेख हसीना और उनके अधिकारी दोषी ठहराए गए।

  • आशुलिया में 6 लोगों की हत्या, फिर जिंदा जलाया: आशुलिया में 6 लोगों को गोली मारी गई, 5 शव जलाए गए और एक शख्स को जिंदा जलाया गया। कोर्ट ने कहा कि यह सरकार के संज्ञान में था, फिर भी होने दिया गया। 

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बांग्लादेश में जून 2024 में भड़की थी हिंसा। (Photo Credit: PTI)

शेख हसीना पर क्या आरोप लगे हैं?

शेख हसीना पर छात्रों के आंदोलन को हिंसक तरीके से कुचलने के आरोप हैं। कई हत्याओं में नाम है। यह भी आरोप है कि उन्होंने ही प्रदर्शनकारियों पर गोली मारने, बम से उड़ाने के आदेश दिए थे। उनके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन भड़के थे। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री भवन तक प्रदर्शनकारी घुस आए थे।

शेख हसीना के आवास में दीवार फांदकर प्रदर्शनकारी घुस गए थे। प्रदर्शनकारियों ने खूब तोड़फोड़ की थी। शेख हसीना के कपड़ों और घरेलू सामानों को बाहर फेंक दिया गया था। प्रदर्शनकारियों ने उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा तक तोड़ दी थी। 

आनन-फानन में उन्होंने अपना देश छोड़ दिया था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि 15 जुलाई से 15 अगस्त तक चले इस विद्रोह को दबाने के लिए की गई सरकारी कर्रवाई में करीब 1400 लोगों की मौत हुई थी।

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अब आगे क्या?

शेख हसीना और कमाल को भगोड़ा घोषित किया गया है। उनकी गैरमौजूदगी में मुकदमा चला है। पुलिस अधिकारी मामून सरकारी गवाह बन गए। वही अदालत में पहुंच गए। सारे सबूत और गवाह अभी शेख हसीना के खिलाफ ही रहे। अब शेख हसीना, बांग्लादेश जाकर इसे चैलेंज कर सकती है। शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में आक्रोश है, सरकार भी उनके खिलाफ है, ऐसे में वह बांग्लादेश जाना चुनेंगे, इस पर संदेह है। कोर्ट में अभी इस फैसले को 30 दिनों के भीतर चुनौती दी जा सकती है। शर्त यह है कि इसके लिए शेख हसीना को बांग्लादेश जाना होगा।