भारत के बच्चों में विदेश जाकर पढ़ने का लगातार क्रेज बढ़ रहा है। सरकार ने भी इसके लिए कई नियमों को आसान बनाया है जिससे बच्चों को बाहर जा कर पढ़ने में किसी भी तरह की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। दुनियाभर में पढ़ने वाले भारतीयों बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ उनके साथ विदेश में होने वाले क्राइम भी चिंता का विषय है। हाल ही में अमेरिका के टेक्सास में पढ़ने वाले हैदराबाद के पोल चंद्रशेखर की हत्या कर दी गई थी। मामले में टेक्सास पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार किया है। यह एक अकेला ऐसा मामला नहीं है। दुनियाभर के देशों में भारतीय छात्रों के साथ कई ऐसी घटनाएं होती हैं। आंकड़ों के हिसाब से समझते हैं कि किन देशों में इस तरह के अपराध सबसे ज्यादा होते हैं?

 

हाल के डेटा के अनुसार, अमेरिका में 4.2 लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। कनाडा में भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 4,27,000 है जबकि ब्रिटेन में यह संख्या 92,355 है। भारत के शिक्षा मंत्री ने बताया था कि 2014-15 के मुकाबले 2021-22 में विदेश में उच्च शिक्षा के लिए एडमिशन कराने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 4.33 करोड़ हो गई है, जिसमें महिला छात्रों की संख्या भी बढ़ी है। MEA की ओर से जारी आकड़ों के अनुसार, 2020 से 2024 तक विदेश में भारतीय छात्रों पर कुल 77 हिंसक हमले हुए। इनमें से रूस में सबसे अधिक 15 मामले दर्ज किए गए।

 

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किन देशों में असुरक्षित हैं भारतीय?

MEA ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में 41 देशों में कम से कम 633 भारतीय छात्रों की मृत्यु हुई है। इनमें सबसे अधिक कनाडा में 172 मौतें शामिल हैं। दूसरे स्थान पर अमेरिका है जहां 108 मौतें हुई हैं। MEA ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि कनाडा में सबसे ज्यादा 27 हिंसक हमले हुए, जिनमें से 16 जानलेवा थे। रूस में 15 घटनाएं दर्ज की गई, जिनमें किसी की भी मौत नहीं हुई। इसके बाद ब्रिटेन और जर्मनी में क्रमशः 12 और 11 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से प्रत्येक देश में एक-एक मौत हुई।

 

अमेरिका में नौ हिंसक हमले हुए, जिनमें से सभी में भारतीय छात्रों की मौत हुई। इसके अलावा, चीन और किर्गिस्तान में एक-एक जानलेवा मामला सामने आया। आयरलैंड, फिलीपींस, इटली और ईरान में क्रमशः चार, तीन, तीन और एक मामला दर्ज किया गया, जिनमें से किसी में भी मौत नहीं हुई। ऑस्ट्रेलिया में चार घटनाएं दर्ज की गई, जिनमें एक की मौत हुई।

कनाडा में भारतीय छात्रों पर हमले 

कनाडा में सबसे ज्यादा बच्चे पढ़ने जाते हैं लेकिन हाल के समय में हिंसक घटनाओं ने सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ाई हैं। यहां छात्रों को अक्सर उनकी पहचान जैसे पगड़ी, पहनावा, स्किन कलर को लेकर निशाना बनाया जाता है। पंजाब से आए बच्चों को निशाना बनाने में रहने को लेकर एक कारण है जिसमें वहां के लोगों और प्रवासी के बीच टकराव बढ़ता है। कनाडा में भारतीय छात्रों की मौत के मामले भी अन्य देशों की तुलना में अधिक हैं। इनमें दुर्घटनाएं और अन्य कारण शामिल हैं लेकिन हिंसक घटनाएं भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

अमेरिका में भारतीय छात्रों पर हमले

अमेरिका में भारतीय छात्रों को विशेष रूप से हेट क्राइम और लूटपाट के दौरान हिंसक हमलों का सामना करना पड़ता है। यहां होने वाले हमलों में सबसे ज्यादा मौतें शामिल हैं। MEA के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में भारतीय छात्रों पर हुए 9 हिंसक हमलों में सभी 9 छात्रों की मौत हो गई। कई मामलों में, छात्रों को लूटपाट के बहाने नस्लीय नफरत का शिकार बनाया गया। 2024 की शुरुआत में, कई भारतीय छात्रों की संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या हुई, जिसने अमेरिका में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए।


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नस्लभेदी हमलों के शिकार भारतीय बच्चे

भारतीय छात्र सबसे ज्यादा नस्लभेदी घटनाओं का सामना अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में कर रहे हैं लेकिन नस्लवाद पर ताजा अध्ययनों से पता चलता है कि ईरान में भी भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ इस तरह के अपराध आम हैं। पढ़ाई के लिए जा रहे कुछ देशों में नस्लीय हमले की हालिया घटनाएं भारतीय समुदाय के बीच चिंता का विषय बनी हुई हैं। 

 

  • ऑस्ट्रेलिया: हाल के वर्षों में विशेष रूप से 2009-2010 के समय और अभी भी रुक-रुक कर भारतीय छात्रों पर नस्लीय गालियों के साथ हिंसक हमलों की खबरें आती रहती हैं। जुलाई 2025 में एडिलेड में एक भारतीय छात्र पर हुए हिंसक हमले को नस्लीय हेट क्राइम के रूप में देखा गया, जहां हमलावरों ने कथित तौर पर 'भाड़ में जाओ, भारतीय' जैसी नस्लीय गालियां दी थीं।
  • आयरलैंड: यहां भी भारतीय मूल के नागरिकों पर नस्लीय हमले की खबरें सामने आई हैं, जहां हमलावरों ने व्यक्तियों के साथ मारपीट की है।
  • कनाडा और अमेरिका: इन देशों में भी समय-समय पर हिंसक हमलों की खबरें आती हैं, जिनमें नस्लीय नफरत एक बहुत बड़ा कारण माना जाता है।  

 

भारत सरकार इस तरह की घटनाओं पर कई बार चिंता जता चुकी है। अमेरिका में भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास को छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।