पिछले तीन दिनों से प्रेमानंद महाराज की तबीयत ठीक नहीं चल रही है, जिसकी वजह से वह पदयात्रा नहीं कर रहे हैं। इस बारे में आश्रम की तरफ से एक सूचना जारी की गई है। सूचना के मुताबिक पहले उनकी हफ्ते में 5 दिन डायलिसिस होती थी, लेकिन अब रोजाना हो रही है।
इस वक्त सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि बोलते हुए उनकी आंखे खुल नहीं रही हैं, चेहरा सूजा हुआ है और आवाज कांप रही है। वह अपने निवास स्थान श्री कृष्णम सोसायटी के एक फ्लैट में रहते हैं जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस की विशेष व्यवस्था की गई है। छह डॉक्टरों की एक टीम उनकी विशेष देखभाल में जुटी हुई है।
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भक्तों को दिया संदेश
उन्होंने अपने भक्तों से कहा कि यह हमारा अभ्यास बन चुका है। हम कितने भी कष्ट में क्यों न हों यह अभ्यास नहीं छूटता। उन्होंने कहा कि वह जब तक अपने आराध्य को याद न कर लें तब तक उन्हें चैन नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि ईश्वर आपका काम देखते हैं तभी वह आपका हाथ पकड़ते हैं।
दिनेश फलाहारी ने की पेशकश
वहीं वृंदावन के ही एक और संत दिनेश फलाहारी ने उनके जीवन की रक्षा के लिए अपनी किडनी देने की पेशकश की है। उन्होंने पत्र लिखकर कहा कि वह अपनी 'फलाहारी किडनी' को उन्हें दान देना चाहते हैं।
आगे उन्होंने अपने पत्र में कहा कि प्रेमानंद महाराज की विश्व को ज्यादा जरूरत है। उनका कहना था कि प्रेमानंद महाराज ने संपूर्ण विश्व के युवाओं को सनातन की तरफ मोड़ा है।
इसके पहले राज कुंद्रा ने भी उन्हें अपनी किडनी उन्हें दान देने का प्रस्ताव दिया था और कहा था कि जब भी प्रेमानंद को जरूरत हो तो वह अपनी किडनी देने को तैयार हैं। हालांकि, बाद में सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने इसे पब्लिसिटी स्टंट भी बताया था।
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कब पता चला बीमारी का
प्रेमानंद को उनकी बीमारी का पता साल 2006 में चला। जब उन्हें अचानक पेट में दर्द हुआ तो उन्होंने कानपुर में मेडिकल जांच कराई। जांच में पता चला कि उनकी किडनी खराब है। उन्हें पॉलीसिस्टिक डिजीज है। वहां के बाद प्रेमानंद ने दिल्ली में जांच कराई तो वहां पर भी वही निकल के आया कि उनकी दोनों किडनी खराब है तो इसके बाद वह वृंदावन चले गए।