हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) से जुड़े बड़े वित्तीय घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक नया खुलासा किया है। पंचकूला की अदालत में दायर अभियोजन शिकायत में ईडी ने दावा किया कि इस घोटाले में 225.51 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई और इसके लिए एक या दो नहीं बल्कि कुल 11 अलग-अलग बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया।

 

जांच में सामने आया कि HSVP के लेखा विभाग में कार्यरत दो निचले स्तर के अधिकारी — सुनील कुमार बंसल और रामनिवास सुरजाखेड़ा — इस पूरी साजिश के मास्टरमाइंड थे। ईडी के मुताबिक, दोनों ने ईमेल के जरिए बैंक अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकारी धन कुछ खास व्यक्तियों और कंपनियों के खातों में ट्रांसफर किया जाए। बाद में यह रकम नकद के रूप में वापस निकाल ली जाती थी।

 

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राजनीति में हुआ इस्तेमाल

रामनिवास सुरजाखेड़ा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (JJP) से टिकट लिया। आरोप है कि चुनाव प्रचार और खर्च के लिए भी इस अवैध धन का उपयोग किया गया। चुनाव जीतकर वह नरवाना सीट से विधायक बने और BJP-JJP गठबंधन सरकार में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के चेयरमैन बनाए गए। हालांकि समय के साथ उन्होंने JJP से दूरी बना ली और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर सार्वजनिक रूप से निशाना साधना शुरू कर दिया। इसके बाद वे कई मौकों पर बीजेपी के मंचों पर दिखाई देने लगे।

सुरजाखेड़ा का पक्ष

वर्तमान में जेल में बंद सुरजाखेड़ा के वकील अभिषेक सिंह राणा का कहना है कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और गवाहों ने दबाव में आकर बयान दिए हैं।

ईडी की शिकायत में प्रमुख आरोप

  1. RBI गाइडलाइन का उल्लंघन — ईडी के अनुसार, पंजाब नेशनल बैंक (मनीमाजरा शाखा) और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (सेक्टर 17, चंडीगढ़) के अधिकारियों ने RBI की नीतियों का उल्लंघन किया। सरकारी खातों के लिए आवश्यक दस्तावेज, ग्राहक पहचान संबंधी रिकॉर्ड और प्राधिकरण पत्र ठीक से नहीं रखे गए।

  2. फर्जी हस्ताक्षरों पर लेन-देन — पंजाब नेशनल बैंक ने बंसल द्वारा संचालित एक अनौपचारिक ईमेल आईडी से मिले निर्देशों पर करोड़ों रुपये के लेन-देन किए, जिन पर न तो अधिकृत हस्ताक्षर थे और न ही मुहर। यूनियन बैंक ने भी HSVP के भूमि अधिग्रहण अधिकारियों के नाम पर खाते चलाए और नकली दस्तावेजों के आधार पर पैसा निकाला।

  3. अन्य आरोपी — बंसल और सुरजाखेड़ा के अलावा, बलविंदर सिंह, हरिंदर पाल सिंह और रंजीत सिंह पर भी आरोप है। बलविंदर के खातों में कथित रूप से 54.51 करोड़, हरिंदर के खातों में 41.23 करोड़ और रंजीत के खातों में 24.85 करोड़ रुपये आए। इस मामले में 12 आरोपी अभी भी फरार हैं।

कैसे सामने आया मामला

ईडी की जांच में पता चला कि बंसल इंटर-अकाउंट फंड ट्रांसफर और खर्च के फैसलों में शामिल थे। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और यूनियन बैंक में अप्रमाणित ईमेल और जाली पत्रों के आधार पर खाते संचालित किए। बैंक अधिकारियों ने खातों में जमा और निकासी के लिए मौखिक निर्देशों के अनुसार भी काम किया।

 

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उनकी रिटायरमेंट से एक दिन पहले बंसल ने पीएनबी की मनीमाजरा शाखा में मुख्य धोखाधड़ी वाला खाता बंद कर दिया, जिसमें लगभग 70 करोड़ रुपये का गबन हुआ था। इसी खाते से जांच की शुरुआत हुई, लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि इन्हीं लोगों ने HSVP के 10 और खातों से भी बड़ी रकम निकाली थी।

अल्टस स्पेस बिल्डर्स को ट्रांसफर

ईडी को पता चला कि पैसा कई लेयर्स में ट्रांसफर किया गया, ताकि असली स्रोत छुपाया जा सके। कुछ व्यक्तियों ने ईडी के सामने कबूल किया कि उनके खातों में पैसा आने के बाद उन्होंने नकदी आरोपियों को सौंप दी। इसी रकम में से 15.64 करोड़ रुपये बेनामी संपत्तियों की खरीद के लिए ‘मेसर्स अल्टस स्पेस बिल्डर्स’ को भेजे गए।

जब्त संपत्तियां

ईडी ने इस मामले में चल संपत्तियों के अलावा सेक्टर 26 (पंचकूला) में 3 मकान, एसएएस नगर के माजरी और खरड़ में 26 प्लॉट तथा अंबाला में विभिन्न आकार के 30 भूखंड कुर्क किए हैं। इन भूखंडों का आकार कुछ मरला से लेकर 79 कनाल तक है।

शुरुआत 70 करोड़ से

यह मामला 2023 में सामने आया, जब हरियाणा पुलिस ने 70 करोड़ रुपये की ठगी का केस दर्ज किया। पुलिस को HSVP के एक अधिकारी से शिकायत मिली थी, जिसके बाद अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज हुआ। जांच के दौरान ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की, तो खुलासा हुआ कि कुल हेराफेरी 225 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।

 

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राजनीति में आने से पहले

रामनिवास सुरजाखेड़ा 2015 से 2017 तक HSVP में अकाउंट असिस्टेंट और सुनील कुमार बंसल 2019 तक सीनियर अकाउंट ऑफिसर रहे। रिटायरमेंट के बाद सुरजाखेड़ा ने राजनीति में कदम रखा। ईडी ने करीब 10 लोगों के बयान दर्ज किए, जिनसे इस घोटाले की परतें खुलीं।

करीबी लोगों के खाते में गई रकम

इन 10 लोगों के खातों में लगभग 160 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए और माना जाता है कि ये सभी पूर्व विधायक के करीबी हैं। इन्हीं बयानों के आधार पर ईडी ने घोटाले की रकम 72 करोड़ से बढ़ाकर 225 करोड़ आंकी।