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जमानत जब्त होने का मतलब क्या? चुनाव नतीजों से पहले जान लीजिए

बिहार में शुक्रवार को वोटों की गिनती होगी। इसके साथ ही साफ हो जाएगी कि नई सरकार किसकी होगी? इससे पहले जानते हैं कि चुनाव में जमानत जब्त होने का मतलब क्या है?

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

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बिहार में अबकी बार किसकी सरकार? बस कुछ ही घंटों में साफ हो जाएगा। बिहार में शुक्रवार को वोटों की गिनती की जाएगी। अब जब वोटों की गिनती होगी और नतीजे आ जाएंगे तो 'जमानत जब्त हो गई' और 'जमानत भी नहीं बचा पाए' जैसे शब्द भी सुनने को मिलेंगे। ऐसे में जानते हैं कि यह जमानत जब्त होना होता क्या है?


दरअसल, हर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को एक तय रकम चुनाव आयोग के पास जमा करवानी होती है। इसे ही 'जमानत राशि' कहा जाता है। जब कोई उम्मीदवार चुनाव में तय वोट हासिल नहीं कर पाता, तो यह राशि चुनाव आयोग के पास जमा होती है। इसे ही 'जमानत जब्त' होना कहते हैं।


चाहे पंचायत का चुनाव लड़ना हो या फिर विधानसभा या लोकसभा का या फिर राष्ट्रपति का ही चुनाव क्यों न हो, हर चुनाव के लिए जमानत राशि जमा करवानी होती है।

 

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जमानत राशि कितनी होती है?

हर चुनाव के लिए अलग-अलग जमानत राशि होती है। जमानत राशि का प्रावधान जनप्रतिनिधि कानून में किया गया है।


चुनाव आयोग के मुताबिक, लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये जमा करवाने होते हैं। एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवार को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए 12,500 रुपये जमा करवाने पड़ते हैं। इसी तरह विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 10 हजार और एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवार को 5 हजार रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा करने होते हैं।


राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमा करने होते हैं, फिर चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

 

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कब हो जाती है जमानत जब्त?

चुनाव आयोग के मुताबिक, जब किसी उम्मीदवार को उस सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.6% से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है।


उदाहरण के लिए, बिहार की किसी विधानसभा सीट पर 5 उम्मीदवार हैं। उस सीट पर अगर 1 लाख वोट पड़े हैं। अगर इन 5 में से 3 उम्मीदवार को 16,666 से कम वोट मिले हैं तो सभी की जमानत जब्त कर ली जाएगी। हालांकि, अगर किसी उम्मीदवार को 16.6% से कम वोट मिले हैं लेकिन वह जीत गया है तो उसे जमानत राशि लौटा दी जाती है। 


चुनाव में जिस किसी भी उम्मीदवार को 16.6% से ज्यादा वोट मिलते हैं, तो उसे जमानत राशि लौटा दी जाती है। अगर वोटिंग से पहले किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है, तो उसकी जमानत राशि उसके परिजनों को वापस कर दी जाती है।


बिहार में 2020 के चुनाव में 3,733 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से 3,205 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।


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