चीन के कर्ज में कैसे फंसा अमेरिका? हर कोने में फैली शी जिनपिंग की कंपनियां
चीन दुनियाभर के 200 से अधिक देशों में अपने कर्ज का जाल फैला चुका है। पड़ोसी देश पाकिस्तान 74 बिलियन के चीनी कर्ज के साथ पांचवें स्थान पर है। पहले पायदान पर डोनाल्ड ट्रंप का ग्रेट अमेरिका है।

शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप। ( AI generated image)
अमेरिका- दुनिया का सबसे सशक्त देश। न केवल सैन्य बल्कि आर्थिक महाशक्ति है। आम धारणा है कि अमेरिका दुनियाभर में कर्ज बांटता हैं। उससे रईस मुल्क कोई नहीं है। मगर एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। करीब 24 साल के डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि चीन से सबसे अधिक कर्ज हासिल करने वाला देश कोई और नहीं, बल्कि महाशक्ति अमेरिका है।
डोनाल्ड ट्रंप के ख्वाबों के देश में चीन व्यापक स्तर पर निवेश करने में जुटा है। दुनियाभर के बड़े देश चीन पर छोटे और गरीब देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसाने का आरोप लगाते हैं। मगर यहां मामला बिल्कुल उलट है। अमेरिकी विश्वविद्यालय विलियम एंड मैरी की एडडाटा रिसर्च लैब की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका को साल 2000 से 2023 तक चीन से 201.9 बिलियन डॉलर का लोन और अनुदान मिला है। यह दुनिया में किसी भी देश को चीन से मिले कर्ज से बहुत अधिक है।
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200 देशों तक फैला चीन का जाल
एडडाटा के रिपोर्ट के मुताबिक चीन का 2.2 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज का जाल 200 देशों तक फैला है। चीन अब विकासशील देशों के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, पश्चिमी यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे हाई इनकम वाले देशों में गुप्त कर्ज की रणनीति से अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है।
एडडाटा के कार्यकारी निदेशक और 'चेजिंग चाइना: लर्निंग टू प्ले बाय बीजिंग्स ग्लोबल लेंडिंग रूल्स' रिपोर्ट के प्रमुख लेखक ब्रैड पार्क्स का दावा है कि चीन के पोर्टफोलियो का कुल आकार पहले प्रकाशित अनुमानों से दोगुना या चार गुना है।
चीन अब अपने तीन चौथाई से अधिक विदेश कर्ज उच्च-मध्यम आय और उच्च-आय वाले देशों को दे रहा है। उसका यह निवेश रणनीतिक है। अमीर देशों में चीन अहम खनिजों, बुनियादी ढांचे और सेमीकंडक्टर कंपनियों पर अपना पैसा लगा रहा है, ताकि वह अपने रणनीतिक हित साध सके।
अमेरिका के हर कोने में चीन का पैसा
रिपोर्ट के मुताबिक चीन से सबसे अधिक कर्ज अमेरिका को मिला है। यह राशि करीब 202 बिलियन डॉलर है। अमेरिका के हर राज्य में चीन का पैसा लगा है। करीब 2500 प्रोजेक्ट पर उसने अपना निवेश कर रखा है। यह हाल तब है जब अमेरिका दुनिया भर को चीन के कर्ज के जाल में न फंसने के बारे में खुद आगाह कर रहा है।
यूरोप के 1,800 प्रोजेक्ट में चीनी फंडिंग
172 बिलियन डॉलर के साथ रूस दूसरा और 130 बिलियन डॉलर की धनराशि के साथ ऑस्ट्रेलिया तीसरे स्थान पर है। वेनेजुएला को चीन ने 106 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया है। वह चौथे स्थान पर है। यूनाइटेड किंगडम को 60 अरब डॉलर मिले। यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों की करीब 1,800 प्रोजेक्ट पर चीन का पैसा लगा है। यह धनराशि लगभग 161 अरब डॉलर है।
अमेरिका में चीन ने किस-किसको कर्ज बांटा?
पूरे अमेरिका में चीन की सरकारी कंपनियों का जाल बिछा है। रिपोर्ट के मुताबिक टेक्सास और लुइसियाना में एलएनजी प्रोजेक्ट में चीनी सरकारी कंपनी ने फंडिंग की है। नॉर्थ वर्जीनिया में डेटा केंद्रों, न्यूयॉर्क के जॉन एफ. कैनेडी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लॉस एंजिल्स एयरपोर्ट टर्मिनल निर्माण, मैटरहॉर्न एक्सप्रेस प्राकृतिक गैस पाइपलाइन और डकोटा एक्सेस ऑयल पाइपलाइन की फंडिंग चीन से हुई है। चीन ने अमेरिका में रोबोटिक्स कंपनी सिलिकॉन लैब्स, कम्प्लीट जीनोमिक्स और ओमनीविजन टेक्नोलॉजीज के बुनियादी ढांचे व ऑटोमोटिव व्यवसाय से जुड़ी कंपनियों के अधिग्रहण में फंडिंग की। अमेजन, एटीएंडटी, वेरिजोन, टेस्ला, जनरल मोटर्स, फोर्ड, बोइंग और डिज्नी जैसी कंपनियों को भी चीन से फंडिंग मिली है।
अमेरिका चीन के खिलाफ, मगर कंपनियां साथ
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नाटो और जी7 जैसे संगठन चीन के खिलाफ हैं। मगर इनके सदस्य देशों की वित्तीय संस्थाएं और कंपनियां चीन की सरकारी कंपनियों से कर्ज लेने में कोई गुरेज नहीं करती हैं। शोध में यह भी पता चला है कि चीन पिछले एक दशक में आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा कर्जदाता बना है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के ऐलान के बाद चीन ने कभी भी सालाना 100 बिलियन डॉलर से कम कर्ज नहीं दिया है।
चीन की नकल में उतरे पश्चिमी देश
चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत ग्लोबल साउथ के बुनियादी ढांचे में काफी निवेश किया। मगर अब उसने इसमें कटौती की है। अब उन देशों को अधिक कर्ज दे रहा है, जिन्होंने बीआरआई में हिस्सा नहीं लिया। यह भी पता चला है कि चीन अब देशों की आर्थिक सहायता कम, बल्कि कर्ज ज्यादा दे रहा है। पश्चिम देश भी चीन के नक्शे कदम पर उतर चुके हैं। जी-7 के देश अपनी विदेशी सहायता एजेंसियों के बजट में कटौती कर रहे हैं। दूसरी तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से कर्ज देने में फोकस कर रहें हैं। बुनियादी ढांचे और अहम खनिजों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।
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| देश | कुल चीनी कर्ज (राशि बिलियन डॉलर में) |
| अमेरिका | 202 |
| रूस | 172 |
| ऑस्ट्रेलिया | 130 |
| वेनेजुएला | 106 |
| पाकिस्तान | 74 |
| अंगोला | 74 |
| कजाकिस्तान | 64 |
| ब्राजील | 64 |
| इंडोनेशिया | 61 |
| यूनाइटेड किंगडम | 60 |
| स्विट्जरलैंड | 41 |
| अर्जेंटीना | 36 |
| सिंगापुर | 35 |
| जर्मनी | 33 |
| तुर्की | 33 |
| ईरान | 29 |
| मलेशिया | 28 |
| वियतनाम | 27 |
| इक्वाडोर | 26 |
| सऊदी अरब | 25 |
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