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युद्ध या कुछ और, पाकिस्तान-तालिबान के बीच विफल वार्ता के बाद आगे क्या?

पाकिस्तान और तालिबान के बीच वार्ता विफल हो चुकी है। अब दोनों देश एक बार फिर संघर्ष के मुहाने पर खड़े हो चुके हैं। हालांकि कतर, तुर्किये के बाद ईरान की एंट्री हुई है। उसने दोनों देशों से मध्यस्थता की पेशकश की है।

Aamir Khan Muttaqi.

तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी। (Photo Credit: PTI)

पाकिस्तान और तालिबान के बीच बातचीत फेल हो गई है। तालिबान ने इसकी पुष्टि की है। 9 अक्टूबर को काबुल पर एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच कई बार हिंसक झड़प हो चुकी। पहले कतर के दखल के बाद अस्थायी सीजफायर पर सहमति बनी। इसके बाद तुर्किये ने मथ्यस्थता करने की कोशिश की। इस्तांबुल में तीन बार पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडल मिला, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही।

 

तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद का कहना है कि तालिबान की सद्भावना, तुर्किये और कतर की मध्यस्थता के बावजूद पाकिस्तान की प्रतिबद्धता की कमी से बातचीत बेनतीजा रही। तालिबान ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल पर गैर-जिम्मेदाराना और असहयोगी रवैया अपनाने का आरोप लगाया।

 

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तालिबान ने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि बातचीत के मेज पर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल अपने नेताओं की सलाह के बाद अधिक गंभीरता और हकीकत के साथ आएगा। मगर ऐसा कुछ भी नहीं गहो सका। बातचीत के वक्त पाकिस्तानी पक्ष ने पूरी जिम्मेदारी अफगानिस्तान पर ही डाल दी। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी या अफगानिस्तान की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की इच्छा भी नहीं दिखाई।

 

तालिबान से पहले पाकिस्तान भी बातचीत बेनतीजा होने की पुष्टि कर चुका है। पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो न्यूज से बातचीत में रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि तालिबान के साथ बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई है। दोनों ही पक्ष अपने प्रमुख मुद्दों को हल करने में विफल रहे हैं। तालिबान का आरोप है कि पाकिस्तान ने तोहा और इस्तांबुल में हुई पिछली मीटिंग के वक्त सीजफायर का उल्लंघन किया। तीसरे तौर से पहले भी पाकिस्तान ने अफगान सीमा पर हमला किया था।

आगे क्या?

तीसरे दौर की बातचीत शुरू होने पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान को धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि समझौता नहीं होने पर स्थिति बिगड़ सकती है। ख्वाजा आसिफ के बयान से साफ है कि पाकिस्तान अपने कदम पीछे नहीं खींचने वाला है। अब तालिबान ने भी पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया है। तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करना हमारा न केवल कानूनी बल्कि इस्लामी फर्ज है। हम दृढ़ता से किसी भी हमले का विरोध करेंगे।

अब ईरान ने की मध्यस्थता की पेशकश

कतर और तुर्किये ने खूब कोशिश की, लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच समझौता करवाने में सफलता नहीं मिली। अब ईरान ने दोनों देशों के बीच समझौता करवाने की पेशकश की। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से फोन पर बात की।

 

ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान बढ़ते सीमा विवाद और औपचारिक वार्ता में विफलता के बीच काबुल और इस्लामाबाद के मध्य बातचीत को सुविधाजनक बनाने में रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है। अफगान विदेश मंत्री से पहले अब्बास अराघची ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री से भी फोन पर बात की और इस बात पर जोर दिया कि मुद्दों को सैन्य धमकियों की जगह बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए।

 

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पाकिस्तान ने 12 हजार अफगानों को निकाला

पाकिस्तान ने 8 नवंबर को 12,323 अफगान नागरिकों को जबरन अपने देश से निकाल दिया है। वहीं ईरान ने भी 132 अफगान नागरिकों को वापस भेजा है। तालिबान शरणार्थी आयोग के मुताबिक इन अफगान नागरिकों की वापसी तोरखम, स्पिन बोल्डक, बहरामचा, पुल-ए-अबरीशम और इस्लाम कला बॉर्डर से हुई है।

अब भी अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर तनाव

पाकिस्तान ने 9 अक्टूबर की रात को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल, जलालाबाद, पक्तिका और खोस्त में बमबारी की थी। पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक के जवाब में अफगानिस्तान ने 12 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हमला बोला। उसने कई पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा कर लिया। तालिबान का दावा था कि उसने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर किया है। हालांकि पाकिस्तान ने 23 के मारे जाने की पुष्टि की थी। तीन दिन बाद यानी 15 अक्टूबर को पाकिस्तान ने दूसरी बार अफगानिस्तान की धरती पर हवाई हमला किया। उसकी इस हरकत के बाद विवाद और भी गहरा गया है। अब भी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तनाव का माहौल है। तोरखम और चमन समेत कई बॉर्डर बंद हैं। 

 

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