अक्सर कहा जाता है कि रात को जल्दी सोना चाहिए और सुबह में जल्दी उठकर काम करना चाहिए। क्या साइंस इस बात को सपोर्ट करता है। हाल ही में रिसर्च हुई है जिसमें बताया गया कि रात को लेट तक जागना या सुबह में जल्दी उठकर काम करना, स्वास्थ्य के हिसाब से क्या ज्यादा फायदेमंद है? आइए इस बारे में जानते हैं।
यह इस पर निर्भर नहीं करता है कि कौन जल्दी सोता है या कौन लेट? यह हमारे क्रोनोटाइप पर निर्भर करता है। MDPI के मुताबिक क्रोनोटाइप एक प्रकार का बायोलॉजिकल पैटर्न है जो शरीर में स्लीप-वेक साइकिल, अलर्टनेस पर ध्यान देता है। क्रोनोटाइप हमारी बॉडी क्लॉक को दर्शाता है और मस्तिष्क की मास्टर घड़ी की तरह है। इंपीरियल कॉलेज लंदन के सर्जरी और कैंसर विभाग की राहा वेस्ट कहती हैं, 'क्रोनोटाइप आपके काम करने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।'
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स्टडी में जाने सेहत के लिए क्या है फायदेमंद?
इंपीरियल कॉलेज लंदन की स्टडी में 26000 लोगों को शामिल किया गया था। अध्ययन में शामिल होने वाले लोगों की बुद्धि, तर्क, स्मृति के आधार पर टेस्ट लिया गया है। इस स्टडी में रात में जगने वालों का स्कोर सुबह जल्दी उठने वालों से काफी अधिक था। हालांकि जो लोग ना ज्यादा जल्दी सोते हैं ना जल्दी उठते हैं उनका स्कोर भी जल्दी उठने वालों से ज्यादा था।
अध्ययन में पाया गया कि जो लोग रात के समय में देर तक काम करते हैं। इसका प्रभाव उनके मेटाबॉल्जिम पड़ता है जिसकी वजह से हृदय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। साथ ही इन लोगों का मृत्यु दर अधिक होता है। Frontiers में प्रकाशित मेटा विश्लेषण में बताया गया कि रात में काम करने से बीएमआई बढ़ता, ग्लूकोज लेवल हाई रहता है जिसकी वजह से एचडीएल (HDL) का लेवल स्लो हो जाता है। एक अन्य स्टडी में पाया गया कि रात को देर तक जगने से मोटापा बढ़ता है, इंसुलिन का लेवल हाई रहता है और मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ जाता है।
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यूके की स्टडी में पाया गया कि रात में देर तक जगने वालों में हृदय संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। स्टडी में पाया गया कि सुबह जल्दी उठने वालों का बीएमआई कम होता, ट्राइग्लिसराइड्स और ग्लूकोज का लेवल कम होता है और एचडीएल कोलेस्ट्रोल का लेवल हाई रहता है।