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क्या है गोल्डन ब्लड ग्रुप? जिसे लैब में बनाने की कोशिश कर रहे हैं वैज्ञानिक

दुनियाभर में सिर्फ 50 से 60 लोगों के पास गोल्डन ब्लड ग्रुप है। यह दुर्लभ ब्लड ग्रुप है। आइए इस ब्लड ग्रुप के बारे में जानते हैं।

blood group test

प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo credit: Freepik

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हम सभी लोग उन 8 ब्लड ग्रुप के बारे में जानते हैं। इस लिस्ट में A+, A-, B+, B-, O+, O-, AB+, AB- का नाम शामि है। हमारे ब्लड ग्रुप में एक जरूरी फैक्टर मौजूद होता है जिसे आरएच कहते है। आरएच ब्लड में पाया जाने वाला प्रोटीन होता है। अगर ब्लड में आरएच मौजूद है तो उसे आरएच पॉजिटिव और नहीं तो निगेटिव माना जाता है लेकिन Null Rh वाला दुर्लभ प्रोटीन होता है।

 

नल आरएच वालों में यह प्रोटीन बिल्कुल ही नहीं पाया जाता है। इस कारण से इस ब्लड ग्रुप को बहुत दुर्लभ माना जाता है। इस कारण से यह सबसे अनोखा ब्लड ग्रुप है जिस कारण से इसे गोल्डन ब्लड कहा जाता है। दुनियाभर में यह ब्लड ग्रुप सिर्फ 50 लोगों में ही पाया गाया है। इस ब्लड ग्रुप वालों के लिए मैचिंग ब्लड ग्रुप मिलना बहुत मुश्किल होता है। यह ब्लड ग्रुप मेडिकल रिसर्च में भी बहुत फायदेमंद माना जाता है।

 

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कैसे बनता है आरएच नल ब्लड ग्रुप?

यह ब्लड ग्रुप दुर्लभ म्यूटेशन के कारण बनता है। जिन लोगों का यह ब्लड ग्रुप होता है उन्हें किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती है। वह सामान्य तौर से अपना जीवन जीते हैं। इस ब्लड ग्रुप वाले लोग मुख्य रूप से अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील और जापान में हैं। इस ब्लड ग्रुप के लोगों को जरूरत पड़ने पर खून मिलना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि ये लोग किसी को भी अपना ब्लड दे सकते हैं।

वैज्ञानिक इस ब्लड ग्रुप को बनाने की कर रहे हैं कोशिश

वैज्ञानिक इस ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सिल ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टिल के प्रोफेसर टॉय और उनके सहयोगियों ने लैब में आरएच नल ब्लड को फिर से तैयार करने की कोशिश की थी। टीम ने रेड ब्लड सेल्स को लैब में विकसित किया है और फिर जीन ए़डिटिंग तकनीक क्रिस्पर कैस 9 का इस्तेमाल करके एंटीजन के लिए कोडिंग करने वाले जीन्स को हटा दिया गया जिस कारण ब्लड ट्रांसफ्यूजन में दिक्कत आती हैं। फिलहाल अभी यह टेस्ट जारी है।

 

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क्या होता है ब्लड ट्रांसफ्यूजन?

 

रेड ब्लड सेल्स की सतह पर कुछ मार्कस मौजूद होते हैं जिन्हें एंटीजन कहा जाता है। ये एंटीजन प्रोटीन या शुगर से बने बोते हैं और सेल्स की सतह से बाहर निकलते हैं और शरीर का इम्यून सिस्टम इन्हें पहचान सकता है। अगर आपको ब्लड चढ़ाया जाता है और उसमें आपके ब्लड से अलग एंटीजन होते हैं तो शरीर उसके खिलाफ एंटीबॉडीज बनाएगा और हमला करेगा इसलिए जरूरी है सेम ब्लड ग्रुप चढ़ाया जाए।

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