दिल्ली विधानसभा एक ऐसा आयोजन करने जा रही है जो अपने आप में अनोखा होगा। पहली बार देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं और विधान परिषदों के स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और चेयरमैन की कॉन्फ्रेंस बुलाई जा रही है। यह कार्यक्रम 24 और 25 अगस्त को दिल्ली विधानसभा में होगा, जिसमें लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला भी शामिल होंगे। दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने बताया है कि इसके लिए कई राज्यों के डेलिगेशन ने पुष्टि भी कर दी है। विजेंद्र गुप्ता ने बताया है कि यह आयोजन इस परिसर में लोकतांत्रिक कार्यवाही की अध्यक्षता करने वाले पहले भारतीय अध्यक्ष विट्ठल भाई पटेल के कार्यभार संभालने के 100 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली विधानसभा विरासत और विकास को साथ-साथ लेकर चल रही है और इस कार्यक्रम में भी यही देखने को मिलेगा।
कार्यक्रम की शुरुआत 24 अगस्त को होगी और इसका उद्घाटन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे। कार्यक्रम के समापन समारोह के मुख्य अतिथि लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला होंगे। यह कार्यक्रम विधानसभा के ऐतिहासिक हॉल में ही होगा, जिसके लिए केंद्रीय मंत्री, दिल्ली विधानसभा के पूर्व स्पीकरों, दिल्ली के सांसदों, उपराज्यपाल, दिल्ली के कैबिनेट मंत्री, विधायकों और दिल्ली की मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया गया है।
क्या-क्या होगा?
स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने बताया है कि इस कार्यक्रम में कुल 4 सेशन होंगे और अलग-अलग स्पीकर अपनी बात रखेंगे। इस दौरान उन्होंने दिल्ली विधानसभा के ऐतिहासक पहलू पर भी जोर डाला और गोपाल कृष्ण गोखले जैसे नेताओं का भी जिक्र किया जो तत्कालीन केंद्रीय विधानसभा के सदस्य हुआ करते थे।
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इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार, उपराज्यपाल वीके सक्सेना और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू होंगे। इनके अलावा, दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता और अन्य कैबिनेट मंत्री भी शामिल होंगे। इस मौके पर ऐतिहासिक साक्ष्यों की एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी और एक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की जाएगी।
कार्यक्रम की शुरुआत के दिन यानी 24 अगस्त को लोकसभा के स्पीकर सभी डेलिगेट्स को डिनर पर आयोजित करेंगे और 25 अगस्त को दिल्ली के उपराज्यपाल डिनर का आयोजन करेंगे। कार्यक्रम के बाद सभी डेलिगेट्स यमुना आरती भी देखने जाएंगे।
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कार्यक्रम में होने वाली चर्चा इस प्रकार है:-
पहला सेशन होगा: विट्ठल भाई पटेल पर चर्चा, लोकतांत्रिक संस्थानों को बनाने में उनकी भूमिका
दूसरा सेशन: भारत लोकतंत्र की मां
तीसरा सेशन: भारत की आजादी में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्यों की भूमिका
चौथा सेशन: AI और पारदर्शिता
कौन थे विट्ठल भाई पटेल?
सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता विट्ठल भाई पटेल देश के पहले उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई। दिल्ली विधानसभा से उनके संबंध को समझने के लिए जरूरी है कि हम पहले आजादी के पहले के ढांचे को समझें। दिल्ली में 1911 में राजधानी आई तो 1912 में दिल्ली का पुराना सचिवालय बनकर तैयार हुआ।
1912 से 1926 तक दिल्ली की विधानसभा का भवन ही उस समय की 'संसद' की तरह का करता था, वैसे तब संसद नहीं थी। अब हम जिस संसद को पुरानी संसद कहते हैं, वह 1927 में बनकर तैयार हुई। शुरुआत में उस लोकतांत्रिक व्यवस्था को नाम दिया गया था काउंसिल चेंबर। यानी दिल्ली की मौजूदा विधानसभा सबसे पहले काउंसिल चेंबर के नाम पर जानी गई।
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इसमें विधान परिषद की पहली बैठक 27 जनवरी 2013 को हुई थी। इस विधानमंडल के विकास के दो चरण थे। पहले 1912 से 1920 तक और दूसरा 1920 के बाद का। पहले चरण में यानी 1912 से 1920 के बीच इसे इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल यानी केंद्रीय विधानसभा के नाम से जाना गया। यह वही सदन था जिस पर रॉलेट ऐक्ट पर विस्तार से चर्चा हुई थी। दूसरे चरण में केंद्रीय विधानसभा और काउंसिल ऑफ स्टेट दो सदन बनाए गए। विधानसभा की बैठक इसी पुराने सचिवालय के सभागार में होती थी और काउंसिल ऑफ स्टेट की बैठक यहीं से थोड़ी दूर पर स्थित मेटकॉफ हाउस में होती थी।
1924 में विट्ठल भाई पटेल इसी भारतीय विधानसभा के सदस्य बने और 24 अगस्त 2025 को वह इस विधानसभा के पहले अध्यक्ष बने। 1930 में उन्होंने अपने इस पद से इस्तीफा दिया और कांग्रेस कार्यकारिणी समिति में शामिल हो गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।