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दिल्ली ब्लास्ट: आखिर क्यों हमेशा आतंकियों के निशाने पर रहती है राजधानी?

दिल्ली में हुए इस धमाके ने देश की सुरक्षा पर चिंता बढ़ा दी है। इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर क्यों दिल्ली हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रहती है?

Blast at Red Fort

लाल किला धमाका, Photo credit- Social Media

दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार 10 नवंबर को शाम 6.52 बजे हुए धमाके में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 2 महिलाएं शामिल हैं। 20 घायलों का इलाज चल रहा है। बाकी की पहचान DNA टेस्ट से की जाएगी। ब्लास्ट में जिस सफेद i20 कार का इस्तेमाल हुआ, उसका एक CCTV फुटेज सामने आया है और उसके आधार पर कुछ लोग पकड़े भी गए हैं। दिल्ली में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आतंकी घटना की प्लानिंग की गई और घटना को अंजाम दिया गया है। पहले भी कई आतंकी घटनाएं दिल्ली को दर्द दे चुकी हैं।

 

सोमवार को हुए ब्लास्ट ने फिर से राजधानी के अंदर सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। आपको बता दें कि सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और न ही किसी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी ली है। इस ब्लास्ट ने सुरक्षा पर जो सवाल खड़े किए हैं, उसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ऐसा क्यों है कि राजधानी हमेशा ही आतंकियों के निशाने पर रहती है?

 

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दिल्ली में 5 बड़े ब्लास्ट

  • 2008 का सीरियल ब्लास्ट- 13 सितंबर 2008 की शाम को लगभग आधे घंटे के अंतर पर कई जगहों पर लगातार ब्लास्ट हुए थे। कनॉट प्लेस, गफ्फार मार्केट (करोल बाग) और ग्रेटर कैलाश-1 के बाजार में पांच बम धमाके हुए। इस धमाके में लगभग 30 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। इन हमलों की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन ने ली थी। इसके बाद भी कई जिंदा बम को निष्क्रिय किया था।
  • 2005 का सीरियल ब्लास्ट- 29 अक्टूबर 2005 को दिवाली से ठीक दो दिन पहले धनतेरस की शाम को दिल्ली में बम धमाके हुए। भीड़-भाड़ वाले इलाकों सरोजिनी नगर, पहाड़गंज और गोविंदपुरी में DTC बस में लगातार धमाके हुए। इन धमाकों में 62 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। त्योहार के समय हुए इस धमाके की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी।
  • संसद हमला- 13 दिसंबर 2001 को पांच आतंकवादियों ने संसद पर हमला कर दिया। संसद परिसर में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें दिल्ली पुलिस के 6 जवान, दो संसद सुरक्षा सेवा के स्टाफ और एक माली शहीद हुए। सभी पांच आतंकी मारे गए। इस हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का हाथ था।
  • लाजपत नगर ब्लास्ट- 21 मई 1996 को दिल्ली के बड़े बाजार लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट में शाम के समय एक ब्लास्ट हुआ जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और 39 लोग घायल हुए। इस घटना की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट ने ली थी।
  • ट्रांजिस्टर बम धमाके- मई 1985 में दिल्ली में आतंकी हमले के तहत कई बम विस्फोट हुए। आतंकवादियों ने ट्रांजिस्टर रेडियो में बम छिपाकर रखे थे और उन्होंने इसे कई भीड़-भाड़ वाले जगहों पर बम रख दिया था। इन हमलों में 49 लोग मारे गए थे और 127 से अधिक लोग घायल हुए थे। इनके पीछे खालिस्तानी चरमपंथियों का हाथ माना जाता था।

 

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निशाने पर क्यों रहती है दिल्ली?

  • दिल्ली के आतंकवादियों के निशाने पर रहने के कई प्रमुख कारण हैं। दिल्ली भारत की राजधानी है। संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), राष्ट्रपति भवन और विभिन्न मंत्रालयों सहित देश के सभी प्रमुख सरकारी और प्रशासनिक संस्थान यहां स्थित हैं। राजधानी पर हमला करना न केवल राजनीतिक नेतृत्व पर हमला माना जाता है, बल्कि यह पूरे देश की संप्रभुता और सुरक्षा को चुनौती देने जैसा होता है।
  • दिल्ली में बड़ी संख्या में विदेशी दूतावास, अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय और राजनयिक मिशन हैं। इन स्थानों या विदेशी नागरिकों को निशाना बनाने से आतंकी संगठनों को दुनिया में तुरंत और अधिक प्रचार मिलता है। दिल्ली में होने वाली किसी भी बड़ी घटना को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में ज्यादा कवरेज मिलती है, जो आतंकवादियों का मुख्य उद्देश्य होता है।
  • दिल्ली एक घनी आबादी वाला मेट्रो शहर है। यहां के बाजार, रेलवे स्टेशन, मेट्रो और बस स्टैंड हमेशा भीड़भाड़ वाले होते हैं। भीड़भाड़ वाले ये जगह 'सॉफ्ट टारगेट' माने जाते हैं।
  • राजधानी पर हमला करके आतंकी संगठन देश के खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की प्रभावशीलता को चुनौती देना चाहते हैं।
  • दिल्ली देश की सत्ता का केंद्र और पहचान है। इसलिए, यहां पर किया गया कोई भी हमला बहुत ज्यादा असर डालता है।
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