अब 12 घंटे करना होगा काम, मोदी सरकार ने श्रम कानून में किया बदलाव
जिन चार श्रम संहिताओं में बदलाव हुए है, वह वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता 2020 हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit- Sora
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसले में श्रम कानून में बड़े बदलाव और सुधार (Labour Act Reforms) की घोषणा कर दी। इस प्रमुख सुधार के जरिए 29 मौजूदा श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाया गया है। 29 श्रम कानूनों को महज 4 कोड तक सीमित किया है। श्रम मंत्रालय के मुताबिक, इन नए कोड से देश के सभी श्रमिकों जैसे- अनौपचारिक सेक्टर, गिग वर्कर्स, प्रवासी मजदूरों और महिलाओं समेत बेहतर वेतन, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य-सुरक्षा की गारंटी मिलेगी।
इसमें गिग यानी वर्कर्स के तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए यूनिवर्सल सामाजिक सुरक्षा कवरेज, सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य नियुक्ति पत्र और सभी क्षेत्रों में वैधानिक न्यूनतम मजदूरी और समय पर पैसे का भुगतान जैसे प्रावधान शामिल हैं।
कंपनियों अपने हिसाब से कर सकेंगी छंटनी
इसके साथ ही लंबे काम के घंटे, एक निश्चित समय के रोजगार और कंपनियों के अनुकूल छंटनी नियमों की अनुमति भी शामिल है। हालांकि, कंपनी द्वारा अपने हिसाब से कर्मचारियों की छटनी के नियम की श्रमिक संगठनों ने आलोचना की है।
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चारों श्रम संहिताएं
दरअसल, ये चार श्रम संहिताएं- वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता 2020 हैं। इन्हें पांच साल पहले संसद ने पास किया था। चार संहिताओं में 29 श्रम कानून शामिल किए गए हैं। वेतन संहिता में चार, सामाजिक सुरक्षा संहिता में नौ, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता में 13 और औद्योगिक संबंध संहिता में तीन कानूनों को मिलाया गया है।
हालांकि, मजदूर संगठनों ने पूर्व में छंटनी संबंधी अस्पष्ट प्रावधानों और केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वयन के दौरान संभावित मनमाने व्यवहार को लेकर इन संहिताओं की आलोचना की थी। इनमें बंदी, छंटनी या लागत कटौती के लिए अनिवार्य सरकारी अनुमति की सीमा बढ़ा दी गई है। मौजूदा प्रावधान में 100 या अधिक श्रमिकों वाली कंपनियों को सरकारी अनुमति की जरूरत थी। अब नई संहिता में यह सीमा 300 श्रमिकों तक बढ़ा दी गई है।
काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 12 घंटे
इसके अलावा, फैक्टरियों में काम के घंटे नौ से बढ़ाकर 12 घंटे और दुकानों तथा प्रतिष्ठानों में नौ घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिए गए हैं। अब इन संहिताओं के आधार पर नियम बनाने होंगे। चूंकि श्रम समवर्ती सूची का विषय है, इसलिए केंद्र और राज्य दोनों को कानून एवं नियम बनाने होंगे। पश्चिम बंगाल को छोड़कर ज्यादातर राज्यों ने पिछले कुछ सालों में श्रम कानूनों से संबंधित बदलाव कर लिए हैं।
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पीएम मोदी ने क्या कहा?
सुधारों में महिलाओं के लिए विस्तारित अधिकार और सुरक्षा शामिल हैं। इनमें रात की पाली में काम, 40 साल से ज्यादा उम्र के श्रमिकों के लिए मुफ्त सालाना स्वास्थ्य जांच, खतरनाक प्रक्रिया इकाइयों सहित पूरे भारत में ESIC कवरेज और एकल पंजीकरण, लाइसेंस प्रणाली शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि ये संहिताएं 'हमारे लोगों, विशेष रूप से नारी शक्ति और युवा शक्ति के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर मजदूरी भुगतान, सुरक्षित कार्यस्थल तथा लाभकारी अवसरों की मजबूत नींव का काम करेंगी।'
उन्होंने कहा, 'यह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाला तथा भारत की आर्थिक वृद्धि को मजबूत करने वाला भविष्य के लिए तैयार परिवेश बनाएगा। ये सुधार रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगे, उत्पादकता को गति देंगे तथा विकसित भारत की हमारी यात्रा को तेज करेंगे। यह आजादी के बाद से अब तक के सबसे व्यापक और प्रगतिशील श्रम-उन्मुख सुधारों में से एक है। यह हमारे श्रमिकों को बहुत अधिक सशक्त बनाता है। यह अनुपालन को काफी सरल भी बनाता है तथा 'कारोबारी सुगमता' को बढ़ावा देता है।'
श्रम मंत्री मनसुख मांडविया का बयान
वहीं, श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, 'चारों श्रम संहिताओं को अधिसूचित कर दिया गया है और अब ये देश का कानून हैं। श्रम संहिताएं रोजगार को संगठित रूप देंगी, श्रमिक संरक्षण को मजबूत करेंगी तथा श्रम परिवेश को सरल, सुरक्षित और वैश्विक गतिविधियों के अनुरूप बनाएंगी।'
अतिरिक्त व्यवस्थागत सुधारों में राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी, स्त्री-पुरूष का अंतर किए बिना कार्य नीतियां, सहायक अनुपालन के लिए इंस्पेक्टर-सह-सुविधाकर्ता मॉडल, दो-सदस्यीय न्यायाधिकरण के जरिये तेजी से विवाद समाधान और राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य (ओएसएच) बोर्ड शामिल हैं। सरकार अब विस्तृत नियम और योजनाएं बनाने के लिए परामर्श शुरू करेगी। इस बीच जहां जरूरी होगा, मौजूदा श्रम कानूनों के प्रावधान लागू रहेंगे।
चारों कानूनों से क्या होगा?
सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि श्रम नियमन को आधुनिक बनाकर, श्रमिकों के कल्याण को बढ़ाकर तथा श्रम परिवेश को बदलते कार्य जगत के साथ जोड़कर यह कदम भविष्य के लिए तैयार कार्यबल और मजबूत उद्योगों की नींव रखता है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत गिग कर्मचारियों समेत सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। सभी श्रमिकों को पीएफ, ESIC, बीमा तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे। वेतन संहिता, 2019 के तहत सभी श्रमिकों को वैधानिक न्यूनतम मजदूरी मिलेगी। न्यूनतम मजदूरी तथा समय पर भुगतान वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। ESIC प्रसार और लाभ पूरे भारत में विस्तारित- 10 से कम कर्मचारियों वाली इकाइयों के लिए स्वैच्छिक तथा खतरनाक प्रक्रियाओं में शामिल इकाइयों के लिए अनिवार्य होंगे।
अब एक तय अवधि के लिए नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों (एफटीई) को स्थायी श्रमिकों के समान सभी लाभ मिलेंगे, जिनमें अवकाश, चिकित्सा तथा सामाजिक सुरक्षा शामिल हैं। इन संहिताओं में पहली बार 'गिग कार्य', 'मंच कार्य (जोमैटो, स्विगी जैसी कंपनियों के लिए काम करने वाले) तथा 'एग्रीगेटर्स' को शामिल किया गया है। पौधरोपण श्रमिकों को ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता तथा सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत लाया जाएगा। डिजिटल तथा ध्वनि-दृश्य श्रमिक अब पूर्ण लाभों के हकदार होंगे। इनमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार, डबिंग कलाकार तथा स्टंट करने वाले शामिल हैं।
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