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हिड़मा की मौत के बाद सरेंडर को तैयार हुए नक्सली, अब क्या चाहते हैं?

नक्सलवादी हिड़मा के एनकाउंटर के बाद नक्सलवादियों की एक बड़ी कमेटी ने सरेंडर का रास्ता चुनने की योजना बनाई है और सरकार के सामने इसका प्रस्ताव भी रखा है।

naxals surrendering before security forces

प्रतीकात्मक तस्वीर, File Photo Credit: PTI

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हिड़मा की मौत के बाद नक्सलियों की दूसरी सबसे बड़ी कमेटी ने सरकार के सामने सरेंडर का प्रस्ताव रख दिया है। MMC यानी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एरिया कमेटी के प्रवक्ता ने बयान जारी करके सरकार से निवेदन किया है कि वे हथियार छोड़ना चाहते हैं और उन्हें 15 फरवरी 2026 तक का वक्त दिया जाए। MMC कमेटी प्रवक्ता ने तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मांग की है कि इस बीच सुरक्षा बल कोई भी कार्रवाई न करें। ताकी नक्सलवादी लोग अपने बाकी सदस्यों से बात करके उन्हें हथियार छोड़ने के लिए मना सकें।

 

हालांकि, नक्सलियों की सबसे बड़ी कमेटी यानी केन्द्रीय कमेटी इसके खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही है। एक ओर MMC ने सरकार से PLGA सप्ताह नहीं मनाने का दावा किया है। इससे ठीक अलग- केन्द्रीय कमेटी ने पर्चा जारी करके PLGA सप्ताह मनाने का एलान कर दिया है। जानकार दावा कर रहे हैं कि यह नक्सल कमेटी में हुई फूट को दिखा रहा है। जो पहली बार इतने बड़े स्तर पर सार्वजनिक हुई है। केन्द्रीय कमेटी वही कमेटी है- जिसमें हिड़मा, शंकर, बसवराजू, रमन्ना जैसे कई बड़े खूंखार नक्सली काम करते थे।

 

सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, पिछले 1 साल में 1600 से ज्यादा नक्सलियों ने हथियार छोड़े हैं। इसमें नक्सल के सबसे टॉप लीडर में से एक यानी पोलित मेंबर वेणुगोपाल भी शामिल है। तेलंगाना की ओर से नक्सलियों की कमान संभालने वाले रुपेश भी और चंद्रन्ना भी।

 

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इतने सारे सरेंडर। हिड़मा, शंकर और बसवराजू जैसे लीडर्स की मौत और ऊपर से गृह मंत्रालय का 30 मार्च 2026 तक नक्सल खात्मे का अल्टीमेटम इन घटनाओं ने मिला जुलाकर मानों नक्सलियों की कमर तोड़ दी है।

हिड़मा की मौत से मची खलबली

 

हिड़मा की मौत को लेकर अब तक हंगामा मचा है। एनकाउंटर पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसे हत्या बताया जा रहा है। वहीं कोई हिड़मा को जल-जगंल-जमीन का योद्धा बता रहा है तो कोई उसकी मौत को उसके करमों का फल लेकिन एक बात तय है। हिड़मा की मौत ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। आंध्र प्रदेश के जिस मारेडुमिल्ली जिले में हिड़मा मारा गया। उसके अलगे दिन, उसी इलाके से आंध्र पुलिस ने 50 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया। फिर उसी इलाके में 7 और नक्सली एनकाउंटर में मारे गए। अब 23 फरवरी को उसी इलाके में एक्टिव 37 नक्सलियों ने हैदराबाद में हथियार के साथ सरेंडर किया है। जिसमें से कई नक्सल हिड़मा के साथ काम चुके थे यानी एक के बाद नक्सल गुट में सरेंडर की झड़ी लगी हुई है।

 

 

हमने पहले भी बताया है कि पोलित मेंबर में से एक वेणुगोपाल ने महाराष्ट्र सीएम देवेन्द्र फणनवीस के सामने 60 नक्सलियों के साथ सरेंडर किया। जगदलपुर में रुपेश ने 210 नक्सलियों के साथ हथियार छोड़े। चंद्रन्ना ने भी हथियार डाल दिए लेकिन इन सभी मामलों में नक्सल लीडर्स ने अपने कुछ विश्वासपात्र लोगों के साथ सरेंडर किया लेकिन अब नक्सलियों की दूसरी सबसे बड़ी कमेटी- MMC ने सरकार के सामने हथियार डालने का प्रस्ताव पेश किया है। 

क्या है यह मामला?

 

23 नवंबर को महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एरिया कमेटी के प्रवक्ता- अनंत ने कुछ लोकल रिपोर्ट्स से फोन पर बात की। साथ ही एक प्रेस नोट जारी किया। जिसे आप निवेदन पत्र भी कह सकते हैं। इसमें अनंत ने सरकार से निवेदन किया है कि वे हथियार छोड़ देंगे। उन्हें 15 फरवरी 2026 तक का वक्त दिया जाए। विस्तार न्यूज के रिपोर्टर संजय ठाकुर से बात करते हुए नक्सल प्रवक्ता अनंत ने अपनी बातें रखीं।

 

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उनकी बातों से साफ है कि नक्सल अब बैकफुट पर आ चुके हैं। अनंत जिन सोनी की बात कर रहे हैं वह वेणुगोपाल हैं। सोनू उनका छद्म नाम है और इसी नाम से वह गुट में ऐक्टिव थे। अब सरेंडर कर चुके हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि MMC कमेटी जो चाहती है, बाकी नक्सल कमेटी भी वहीं चाहें। एक ओर MMC कमेटी PLGA सप्ताह नहीं मानाने का दावा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ केन्द्रीय कमेटी ने यह सप्ताह मनाने का दावा किया है। यानी दोनों कमेटी में फूट आ गई है? इसे लेकर संजय ठाकुर ने नक्सल प्रवक्ता से सवाल किया।

 

नक्सल प्रवक्ता अनंत का इशारा या फिर केन्द्रीय कमेटी का अलग फैसला। सार्वजनिक फूट की ओर इशारा करता है। फूट की बात पुख्ता करने के लिए हमने जगदलपुर के पत्रकार संजय ठाकुर से बात की। संजय ठाकुर का कहना है, 'इन दो कमेटियों के बीच फूट पहले से ही दिखने लगी थी। तिरुपति की मौत के बाद सोनू यानी वेणुगोपाल और देवजी अलग हो गए। वेणुगोपाल के संपर्क और कमेटी वाले लीडर्स ने हथियार डालना शुरू किया। खुद वेणुगोपाल ने हथियार डाला जबकि देवजी के गुट ने हथियार के साथ लड़ाई जारी रखना चुना। जिसमें हिड़मा, बसवराजू, शंकर जैसे नक्सल शामिल थे। यही फूट पड़ने का पहला सार्वजनिक सबूत था। सोनू दादा के गुट ने सरेंडर करना जारी रखा। दूसरी तरफ देवजी गुट के लीडर्स मारे जा रहे हैं। हिड़मा भी इसी में एक था और अब जो MMC एरिया कमेटी ने सरेंडर की पेशकश की है। वह भी इसी सोनू दादा का असर है। नक्सल प्रवक्ता खुद कह रहे हैं कि सोनू दादा यानी वेणुगोपाल उनके लिए सरकार से बात कर रहे हैं।'

 

क्या बोले छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री?

 

खबरगांव की टीम छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा से बात की। पूछा कि MMC एरिया कमेटी ने जो 15 फरवरी 2026 तक का जो वक्त मांगा है। उस पर सरकार का क्या रूख है। विजय शर्मा ने साफ कहा है, 'सरकार नक्सलियों के आत्म समर्पण का स्वागत करती है लेकिन 15 फरवरी तक का वक्त बहुत लंबा है। नक्सल दो सदस्य चुनकर सरकार के पास वार्ता के लिए भेज सकते हैं। ताकि सरेंडर की प्रक्रिया पर बात हो सके।'

 

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यानी नक्सलियों के सरेंडर को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार का रुख साफ है। सरकार सरेंडर का स्वागत करती है लेकिन 15 फरवरी तक नहीं रुक सकती। इसमें रिस्क भी है। एक ओर एक एरिया कमेटी सरेंडर का दावा कर रही है। दूसरी ओर सेंट्रल कमेटी PLGA सप्ताह मानाने का भी दावा कर रही है। PLGA यानी पीपुप्ल लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी। नक्सलियों का लड़ाई लड़ने वाला गुट। यह गुट हर साल 2 दिसंबर से 9 दिसंबर तक PLGA सप्ताह मनाता है। इस बीच नक्सलियों की ऐक्टिविटी बढ़ जाती है। वारदात बढ़ जाती हैं। ऐसे में एक कमेटी के दावे पर सुरक्षा ऑपरेशन्स रोक देना, सवाल के घेरे में है।

 

नक्सलियों के आखिरी किलेदार हिड़मा की मौत के बाद नक्सलियों में भगदड़ जैसी स्थिति दिखाई दे रही है। बड़े लीडर्स सरेंडर कर रहे हैं। छोटे नक्सली या तो गिरफ्तार हो रहे हैं या खुद हथियार छोड़ रहे हैं और अब नक्सलियों की दूसरी सबसे बड़ी एरिया कमेटी ने ही सरेंडर का निवेदन कर दिया है। बस 15 फरवरी 2026 तक का वक्त मांगा है। इसे लेकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकार क्या करती है देखने वाली बात होगी।

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