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मदुरै-कोयंबटूर मेट्रो को लेकर स्टालिन और मनोहर लाल क्यों भिड़े? विवाद क्या है

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार पर मदुरै और कोयंबटूर मेट्रो को मंजूरी नहीं दिए जाने पर घेरा है। वहीं, केंद्र ने स्टालिन सरकार के सभी आरोपों का जवाब दिया है।

MK Stalin and Manohar lal khattar

एमके स्टालिन और मनोहर लाल। Photo Credit- PTI

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तमिलनाडु सरकार ने राजधानी चेन्नई के बाद मदुरै और कोयंबटूर जैसे दो बड़े शहरों में मेट्रो रेल सर्विस शुरू करने का फैसला किया। इसको लेकर एमके स्टालिन सरकार ने घोषणा भी जारी कर दी थी। स्टालिन सरकार ने दोनों शहरों में मेट्रो चलाने के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करके केंद्र सरकार को भेजी। हालांकि, राज्य सरकार ने जो 15 महीने पहले DPR केंद्र को भेजी थी, उसे मोदी सरकार ने मदुरै और कोयंबटूर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट्स को इजाजत देने से मना कर दिया।

 

केंद्र से मना होने पर अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन खफा हो गए हैं। उन्होंने केंद्र के मना करने पर मोदी सरकार की कड़ी निंदा की है। उनकी पार्टी डीएमके मदुरै और कोयंबटूर में एक विरोध-प्रदर्शन भी कर चुकी है। डीएमके कार्यकर्ताओं ने अपने प्रदर्शन में मेट्रो प्रोजेक्ट को इजाजत देने से मना करने के लिए केंद्र सरकार की निंदा की। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर यह पूरा विवाद क्या है...

 

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वह तमिलनाडु में इस मुद्दे को लेकर बीजेपी के साथ दो-दो हाथ करने की तैयारी कर चुके हैं। वह इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं, साथ ही अगले साल होने वाले विभानसभा चुनाव में भी केंद्र के खिलाफ राज्य के साथ कथित भेदभाव के आरोप के साथ जाने की तैयारी में हैं।

 

यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने 19 नवंबर को सोशल मीडिया पर एक लंबा-चौड़ा मैसेज लिखा, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार के तमिलनाडु के साथ भेदभाव करने के साथ में कई आरोप लगाए।

सीएम स्टालिन का गंभीर आरोप

उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, 'केंद्र की बीजेपी सरकार ने मंदिरों के शहर मदुरै और दक्षिण भारत के मैनचेस्टर कोयंबटूर के लिए मेट्रो रेल को बेबुनियाद वजहों से मना कर दिया है। सरकार बिना किसी भेदभाव के लोगों की सेवा करने के लिए होती है। फिर भी केंद्र की बीजेपी सरकार, तमिलनाडु की लोकतांत्रिक पसंद को बदला लेने का बहाना मानती है। ऐसे राजनीतिक रिवाज को आगे बढ़ाना, जिसमें बीजेपी शासित राज्यों को छोटे टियर-II शहरों के लिए मेट्रो मिलती है, जबकि विपक्ष शासित राज्यों को इससे वंचित रखा जाता है, एक शर्मनाक तरीका है।'

 

 

 

'तमिलनाडु, आत्मसम्मान की धरती'

उन्होंने आगे कहा, 'तमिलनाडु, आत्मसम्मान की धरती है। तमिलनाडु संघीय सिद्धांतों के ऐसे गलत इस्तेमाल को कभी स्वीकार नहीं करेगा।' मुख्यमंत्री स्टालिन ने केंद्र सरकार को लेकर कहा, 'उन्होंने (केंद्र सरकार) चेन्नई मेट्रो को रोकने की कोशिश की और हमने उन बुरी कोशिशों को नाकाम कर दिया और प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया। उसी पक्के इरादे के साथ, हम मदुरै और कोयंबटूर को उनके भविष्य के विकास के लिए जरूरी मेट्रो रेल दिलाएंगे। तमिलनाडु लड़ेगा! तमिलनाडु जीतेगा!'

 

 

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केंद्र सरकार ने सभी आरोप नकारे

वहीं, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के इन आरोपों को लेकर केंद्रीय आवास और शहरी मंत्री मनोहर लाल ने जवाब दिया है। साथ ही मंत्री मनोहर लाल ने सफाई भी दी है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन मेट्रो नीति 2017 के कार्यान्वयन का राजनीतिकरण कर रहे हैं और समस्या पैदा कर रहे हैं। मेट्रो रेल सिस्टम जैसी महंगी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं यह सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन की जाती हैं कि वे जनता के लिए अधिकतम लाभ उत्पन्न करें।

 

केंद्र सरकार ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने 3 अक्टूबर 2024 को 63,246 करोड़ रुपये की लागत से 119 किलोमीटर लंबी चेन्नई मेट्रो चरण-2 परियोजना के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी को नजरअंदाज कर दिया है। यह अब तक मंजूर सबसे बड़ा मेट्रो प्रोजेक्ट है।

 

 

 

मदुरै-कोयंबटूर प्रपोजल में ये कमियां

  • केंद्र सरकार ने जिन वजहों से मदुरै और कोयंबटूर मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी देने से मना किया है, उसमें मंत्री मनोहर लाल ने कई कमियां गिनाई हैं।
  • चेन्नई मेट्रो सिस्टम के मुकाबले कोयंबटूर में कम रूट लेंथ है। ऐसे में चेन्नई के मुकाबले ज्यादा ट्रैफिक का अनुमान दिया गया है। पहली नजर में यह गलत लगता है।
  • रोड ट्रैफिक और मेट्रो के बीच अनुमानित एवरेज ट्रिप लेंथ और स्पीड का अंतर, मेट्रो सिस्टम में ट्रैफिक के मोडल शिफ्ट की उम्मीद को सपोर्ट नहीं करता है।
  • कोयंबटूर के DPR के मुताबिक, 7 मेट्रो स्टेशन लोकेशन पर राइट ऑफ वे काफी नहीं है।
  • मदुरै का कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (पैरा 5.2.5), साफ तौर पर बताता है कि अभी की राइडरशिप को देखते हुए, BRTS सही है।
  • कोयंबटूर म्युनिसिपल पॉपुलेशन (257 sq km) एरिया की आबादी 15.85 लाख (2011) है और लोकल प्लानिंग एरिया (1287 sq km) की आबादी 7.7 लाख (2011) है। पैसेंजर फ्लो प्रोजेक्शन लोकल प्लानिंग एरिया के अंदर मॉडल बदलावों के लिए किए गए हैं, जो कोयंबटूर म्युनिसिपल एरिया से पांच गुना बड़ा है. मेट्रो सिस्टम में बदलने के प्लान को बदलने की जरूरत है।
  • इसके अलावा, भारत सरकार ने अलग-अलग शहरों में 10,000 एयर कंडीशन्ड ई-बसें देने के मकसद से PM ई-बस सेवा का फायदा नहीं उठाने का फैसला किया है। इस स्कीम के तहत, बसों, डिपो इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और बिहाइंड द मीटर फैसिलिटी के लिए सेंट्रल फाइनेंशियल असिस्टेंस दी जाती है। बार-बार मनाने के बावजूद, तमिलनाडु सरकार ने अब तक इस स्कीम में हिस्सा नहीं लिया है।

DMK बना सकती है राजनीतिक मुद्दा

मुख्यमंत्री स्टालिन के हाल के कदमों से साफ हो गया है कि डीएमके इसे राज्य में बड़ा मुद्दा बनाएगी। इससे तमिलनाडु में राजनीतिक विवाद खड़ा होना तय माना जा रहा है, क्योंकि डीएमके इन दोनों प्रोजेक्ट्स को लेकर बहुत उत्सुक थी। अगर, दोनों शहरों में मेट्रो सेवा पास होती तो, डीएमके इसे राज्य के विकास के तौर पर विभानसभा में भुनाने की कोशिश करती। बता दें कि तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं, ऐसे में डीएमके इस कदम का अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती है।

 


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